मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का जहां अपनी जमीन को और पुख्ता करने पर जोर है तो वहीं कांग्रेस की कमजोर कड़ी पर भी उसकी पैनी नजर है. यही कारण है कि संगठन लगातार पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के मंत्र दे रहा है, तो कांग्रेस के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है जो भाजपा में आने को तैयार है. राज्य में भाजपा को दोबारा सत्ता में लौटे हुए लगभग 15 माह का वक्त गुजर गया है. इस दौरान संगठन के सामने कई उतार-चढ़ाव भी आए, 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव में भाजपा 19 स्थानों पर जीतने में सफल रही थी तो वहीं कांग्रेस ने नौ स्थानों पर बाजी मारी थी. उसके बाद दमोह विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, इस हार को भाजपा ने गंभीरता से लिया है. यही कारण है कि संगठन की मजबूती के लिए लगातार कोशिशों का दौर जारी है.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान लोगों से सीधे संपर्क और संवाद स्थापित करने के लिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखा, पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जहां दवाइयों का वितरण किया, मरीजों को अन्य सुविधाएं सुलभ कराने की कोशिश की तो वहीं राशन आदि का भी वितरण किया गया. अब वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है तो उसमें भी पार्टी अपनी भूमिका निभाने में लगी हुई है.
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भाजपा की प्रदेश कार्य समिति का भी गठन कर दिया गया है और कार्य समिति की पहली बैठक गुरुवार को भोपाल में होने वाली है. यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगामी दिनों में एक लोकसभा, तीन विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव तो होने हैं साथ में नगरीय निकाय और पंचायतों के भी चुनाव होना है. भाजपा एक तरफ जहां अपने संगठन को मजबूत कर रही है, सरकार की योजनाएं जन जन तक पहुंचाने के प्रयास कर कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की कमजोर कड़ियों को भी खोजा जा रहा है. इसी क्रम में छिंदवाड़ा के सांसद नकुल नाथ के सांसद प्रतिनिधि सौरव ठाकुर को भाजपा में शामिल किया गया है. यह दलबदल काफी अरसे बाद हुआ है. आगामी दिनों में कई और चेहरे भी भाजपा में शामिल हो जाएं तो अचरज नहीं होगा.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा हर मोर्चे पर सक्रियता से काम करने में भरोसा करती है. हर समय वह चुनाव के मूड में रहती है और संगठन लगातार पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाए रखने का काम करता है. कोरोना काल में यह दिखा भी कि पार्टी संगठन ने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश की, तो वहीं कोरोना टीकाकरण में पार्टी अपनी भूमिका को निभा रही है ,तो वहीं विरोधी दल को कमजोर करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती. कुल मिलाकर भाजपा के निशाने पर कांग्रेस है और उसे वह हर स्तर पर कमजोर करने में लगी है. यह नजर भी आता है. इन स्थितियों में कांग्रेस को अपने को मजबूत बनाए रखना किसी चुनौती से कम भी नहीं है.