Advertisment

मप्र के उपचुनाव में गद्दार, भूखा-नंगा से कुत्ता तक पहुंची बात

मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव ( Madhya Pradesh Bypolls 2020) में भाषा की मर्यादा को खूंटी पर टांगने में कोई भी राजनेता और दल ने हिचक नहीं दिखाई है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
MP Bypolls 2020

कांग्रेस औऱ बीजेपी इसके लिए लगा रहे एक-दूसरे पर आरोप.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव ( Madhya Pradesh Bypolls 2020) में भाषा की मर्यादा को खूंटी पर टांगने में कोई भी राजनेता और दल ने हिचक नहीं दिखाई है. यही कारण रहा कि चुनाव प्रचार में उन शब्दों का प्रयोग करने में कोई भी पीछे नहीं रहा जिसे आमतौर पर लोग उपयोग करने से कतराते हैं. राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो रहे हैं इनमें 25 स्थान ऐसे हैं जहां उप चुनाव की नौबत दल बदल के कारण आई है, वही तीन स्थानों पर चुनाव विधायकों के निधन के कारण हो रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः सत्ता में आने पर कर्मचारी विरोधी फैसले निरस्त करेगी कांग्रेस : कमल नाथ

किसी ने नहीं किया लिहाज
दलबदल करने वालों को कांग्रेस की ओर से गद्दार करार दिया गया और यह सिलसिला आगे बढ़ता गया. फिर बात भूखे नंगे की आई. महिला भाजपा उम्मीदवार इमरती देवी को तो कथित तौर पर आइटम ही बता दिया गया. चुनाव की तारीख करीब आने के साथ बयानों की तल्खी भी बढ़ती गई और कमतर शब्दों का भी खूब प्रयोग होने लगा. किसी को पापी कहा गया तो किसी उम्मीदवार को जमीन में गाड़ने की बात ही और अब तो बात कुत्ते तक पहुंच गई हैं.

यह भी पढ़ेंः मप्र में आज थमेगा प्रचार, रोड शो और सभाओं का दौर

कांग्रेस-बीजेपी का एक-दूसरे पर आरोप
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि भाषा की मयार्दा का ध्यान तो सभी को रखना चाहिए मगर उपचुनाव में भाजपा ने मुददों को भटकाने के लिए निम्न स्तरीय भाषा का प्रयोग किया, मगर उनकी यह कोशिश नाकाम रहेगी. इस चुनाव में मुद्दा विकास और बिकाऊ है, जिसे भाजपा चाहकर भी नहीं बदल पाई है. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि कांग्रेस ने आम जनता का ध्यान मुद्दों से हटाने के लिए सोची-समझी रणनीति के तहत इस तरह की भाषा का प्रयोग किया. भाजपा तो चाहती थी कि यह चुनाव भाजपा के 15 साल के शासन काल और कमल नाथ के शासनकाल को लेकर हो, बात मुद्दों की हो, मगर कांग्रेस के पास बताने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि 15 माह का शासनकाल लूट खसोट का शासनकाल रहा है.

यह भी पढ़ेंः ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लगे आरोपों के बाद मध्यप्रदेश में सियासी बवाल, दिग्विजय बोले- बीजेपी दे जवाब

लोगों को भी नहीं रास आई जबान
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा के चुनाव राज्य की सियासत में बदलाव लाने के साथ सत्ता के लिहाज से महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि राजनीतिक दलों ने भाषा की सारी मयार्दाओं को तार-तार कर दिया, चुनाव भले ही कोई जीत जाए, मगर यह उपचुनाव राज्य की शालीन और सोम राजनीति के लिए अच्छे तो नहीं माने जाएंगे. राजनेताओं की भाषा को आमजन भी अच्छा नहीं मान रहे है. आशीश शर्मा कहते हैं कि चुनाव में राजनेताओं और राजनीतिक दलों को अपनी बात कहनी चाहिए, बताना चाहिए कि उन्होंने अब तक क्या किया और आगे क्या करेंगे, मगर इस उप-चुनाव में ऐसे लगा मानों दोनों दलों के पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं है. यही कारण रहा कि वे निजी हमलों के साथ स्तरहीन भाषा का प्रयोग करते नजर आए.

shivraj-singh-chauhan एमपी-उपचुनाव-2020 Kamal Nath कमलनाथ शिवराज सिंह चौहान madhya pradesh bypolls 2020 MP Bypolls 2020
Advertisment
Advertisment