मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव (MP Bypolls) में कांग्रेस (Congress) के वोट बैंक में बहुजन समाज पार्टी (BSP) सेंधमारी कर सकती है. इस सेंधमारी को रोकने की कांग्रेस ने बड़ी रणनीति बनाते हुए कभी बसपा मे रहे कई प्रमुख नेताओं को अपना उम्मीदवार बना दिया है.
राज्य के ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा का वोट बैंक है. यहां कई सीटें ऐसी हैं जहां बसपा भले ही चुनाव न जीते, मगर नतीजों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. बसपा ने राज्य में होने वाले 27 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में से आठ क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं यही कारण है कि कांग्रेस ने बसपा की सेंधमारी को रोकने के लिए ऐसे जनाधार वाले नेताओं को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया है, जो कभी बसपा में हुआ करते थे.
राज्य में 27 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में से 15 सीटों के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इनमें से नौ उम्मीदवार ग्वालियर-चंबल अंचल के है, इन नौ उम्मीदवारों में से तीन विधानसभा क्षेत्र करैरा से प्रागी लाल जाटव, भांडेर से फूल सिंह बरैया और अंबाह से सत्य प्रकाश संखवार को उम्मीदवार बनाया है. यह तीनों नेता कभी बसपा में रहे हैं और उनका क्षेत्र में जनाधार भी है.
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने आगामी चुनाव में बसपा से होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए कभी बसपा में रहे नेताओं को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया है. इसका कांग्रेस को लाभ मिल सकता है इसे नकारा नहीं जा सकता, लेकिन यह नेता क्या बतौर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत सकेंगे, यह बड़ा सवाल है. नतीजे आने पर ही सारी तस्वीर सामने आएगी कि कांग्रेस की रणनीति कितनी कारगर रही.
ज्ञात हो कि कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन के लिए तीन बार सर्वे कराया है, जिस भी व्यक्ति के समर्थन में सर्वे रिपोर्ट आई है, उसे कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाने का ऐलान पहले ही किया था. उसी के मुताबिक, कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी की है. इस सूची में कई नए चेहरों के नाम भी सामने आए है, वहीं बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए नेताओं के पक्ष में भी माहौल होने की बात सामने आने पर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है .
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के सचिव श्रीधर शर्मा का कहना है कि कांग्रेस जनाधार वाले नेताओं को चुनाव मैदान में उतार रही है, उप-चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में जनता का रुख है. कमल नाथ एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. जहां तक बसपा से आए लोगों को उम्मीदवार बनाने की बात है तो वर्तमान में जो नेता कांग्रेस में है उन्हें ही तो उम्मीदवार बनाया गया है, मीडिया उसका आंकलन किसी भी तरह से कर सकता है, मगर उनके जनाधार को नकारा नहीं जा सकता.
ये भी पढ़ें:MP Bypolls: ग्वालियर-चंबल में दल-बदल को बना रहे जीत का आधार
पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी और विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान समिति के समन्वयक रहे मनीष राजपूत का कहना है कि सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने से कांग्रेस के सामने उम्मीदवारों का संकट खड़ा हो गया. कई क्षेत्रों में तो कांग्रेस को उम्मीदवार खोजना मुश्किल हो गया, यही कारण है कि वे बसपा या बीजेपी से आ रहे नेताओं को उम्मीदवार बनाने पर मजबूर है. आखिर कांग्रेस को उम्मीदवार तो मैदान में उतारना ही होगा, कई क्षेत्रों में यह महज खाना पूर्ति से आगे ज्यादा कुछ नहीं है.
बीते उप-चुनावों में बसपा ने कभी भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे, मगर इस बार उप-चुनाव में उम्मीदवार उतार रही है, इसे बसपा और बीजेपी के आपसी तालमेल से जोड़कर देखा जा रहा है. इस कारण से कांग्रेस की मुश्किलें कुछ ज्यादा हो गई है. इससे उबरने के लिए ही कांग्रेस ने बसपा के पूर्व नेताओं को मैदान में उतारने की रणनीति पर काम किया है, इससे दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में इन नेताओं के प्रभाव को भुनाया जा सकता है.