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Bypolls: एमपी की सियासत के 'केंद्र' में फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया

विधानसभा चुनाव के समय जहां बीजेपी का नारा था 'हमारे नेता तो शिवराज, माफ करो महाराज' वहीं अब नारा भी बदलकर 'साथ चलो शिवराज-महाराज' हो गया है. वहीं कांग्रेस के निशाने पर भी सिंधिया ही हैं.

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Vineeta Mandal
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Jyotiraditya Scindia

Jyotiraditya Scindia( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 'केंद्र' बनते जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव के समय जहां बीजेपी का नारा था 'हमारे नेता तो शिवराज, माफ करो महाराज' वहीं अब नारा भी बदलकर 'साथ चलो शिवराज-महाराज' हो गया है. वहीं कांग्रेस के निशाने पर भी सिंधिया ही हैं.

राज्य में आगामी समय में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, इनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल इलाके से आती हैं और यह क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला माना जाता है. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके से कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी और कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी हुई थी.

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सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ा तो कमल नाथ की सरकार गिर गई और सिंधिया ने बीजेपी का दामन थामकर सत्ता में बीजेपी की वापसी करा दी. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के निशाने पर सिंधिया ही थे, यही कारण है कि बीजेपी ने नारा दिया था 'हमारे नेता तो शिवराज, माफ करो महाराज'. अब स्थितियां बदली हैं और नारा हो गया है, 'साथ चलो शिवराज-महाराज'.

सिंधिया बीजेपी में शामिल होने और राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद पहली बार ग्वालियर-चंबल अंचल के दौरे पर आए हैं और इस मौके पर बीजेपी ने तीन दिवसीय सदस्यता अभियान चलाया. इस सदस्यता अभियान के दौरान सिंधिया ने अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया है, क्योंकि कई हजार कार्यकर्ता बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं.

बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने को लेकर कहा, "सिंधिया ने प्रदेश में दुरावस्था लाने वाली कांग्रेस की सरकार को गिराकर देश को जो संदेश दिया है, वो संदेश कई साल पहले ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया ने डी़ पी़ मिश्रा की सरकार को उखाड़कर पूरे देश को संदेश दिया था. इतना ही नहीं, जब कांग्रेस राम मंदिर का विरोध कर रही थी, तब भी सिंधिया ने मंदिर का समर्थन किया था, कश्मीर से धारा 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून का भी समर्थन किया और इसकी वजह यह है कि उनकी दादी विजयराजे ने उनके मन-मस्तिष्क में राष्ट्रवाद का बीजारोपण किया था."

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सिंधिया स्वयं कांग्रेस पर हमलावर हैं. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह पर हमले बोले. सिंधिया ने कमल नाथ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा, "राज्य में 15 महीनों के शासनकाल में कमल नाथ सरकार ने जो भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी की, उसके कारण हमें यह कदम उठाना पड़ा. कमल नाथ ने मुख्यमंत्री रहते कभी इस क्षेत्र में चेहरा नहीं दिखाया. दूसरी तरफ, शिवराज सिंह चौहान हैं, जिन्होंने यहां आने से पहले 250 करोड़ के कामों को मंजूरी दे दी. कमल नाथ हमेशा पैसों का रोना रोते रहते थे, लेकिन अब शिवराज ने जनता के लिए खजाना खोल दिया है."

एक तरफ जहां बीजेपी की ओर से कांग्रेस पर हमले बोले जा रहे हैं, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ग्वालियर की सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया.

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सिंधिया पर हमला बोलते हुए कहा, "अपने ईमान का सौदा करना, जनादेश को धोखा देना, पीठ में छुरा घोंपना, जनता व लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विश्वास को तोड़ना, वह भी सिर्फ सत्ता की चाह के लिए, पद प्राप्ति के लिए, चंद स्वार्थपूर्ति के लिए, वो भी उस पार्टी के साथ जिसने मान-सम्मान, पद सब कुछ दिया, आखिर यह सब क्या कहलाता है? दल छोड़ना व जनता के विश्वास का सौदा करने में बहुत अंतर है. राजनीतिक क्षेत्र में आज भी कई लोग सिर्फ अपने मूल्यों, सिद्धांतों व आदर्शो के लिए जाने जाते हैं और कइयों का तो इतिहास ही धोखा, गद्दारी से जुड़ा हुआ है."

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ग्वालियर-चंबल में बीजेपी के सदस्यता अभियान के चलते सिंधिया एक बार फिर सियासत के 'केंद्र' में आ गए हैं. बीजेपी जहां उनके बचाव में खड़ी है तो दूसरी ओर कांग्रेस की ओर हमले बोले जा रहे हैं. इस क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में सिंधिया के इर्दगिर्द ही सियासत घूमती नजर आएगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि सिंधिया का सियासी भविष्य यहां मिलने वाली हार जीत पर जो निर्भर करेगा. इसके चलते बीजेपी और कांग्रेस देानों ही अपना सारी ताकत लगाने में चूक नहीं करेगी.

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