मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी नीत सरकार के मंत्रिमंडल का बहुप्रतिक्षित विस्तार हुआ, जिसमें 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. इन नए मंत्रियों में 12 ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी शामिल हैं, जिनके मार्च में कांग्रेस से इस्तीफे के बाद राज्य की कमलनाथ सरकार गिर गई थी. सिंधिया समर्थक जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, इनमें से कोई भी फिलहाल विधानसभा का सदस्य नहीं है. संभवत: देश में पहली बार किसी प्रदेश के मंत्रिमंडल में इतनी बड़ी तादाद में गैर विधायकों को शामिल किया गया है.
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आज 28 मंत्रियों की शपथ के बाद अब शिवराज कैबिनेट में कुल 33 सदस्य हो गए हैं. लेकिन इन 33 मंत्रियों में से करीब एक दर्जन वर्तमान में विधायक ही नहीं है. इस पर अब मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने भी सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने कहा, 'लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार 12 गैर-विधायकों को मंत्री बनाया गया. संवैधानिक लोकतंत्र है- जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन. शिवराज का लोकतंत्र- गद्दारों का, सत्ताभूख मिटाने के लिए, खरीद-फरोख्त द्वारा शासन. पूरा देश लोकतंत्र के चीरहरण पर शर्मिदा है.'
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, 'लोकतंत्र के इतिहास में मध्यप्रदेश का मंत्रिमंडल ऐसा मंत्रिमंडल है, जिसमें कुल 33 मंत्रियों में से 14 वर्तमान में विधायक ही नहीं है. यह संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ बड़ा खिलवाड़ है. प्रदेश की जनता के साथ मजाक है.'
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राजधानी भोपाल स्थित राजभवन में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर आयोजित समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 20 कैबिनेट मंत्रियों और आठ राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण समारोह में कोविड-19 को लेकर दिशा-निर्देशों का पालन किया गया. शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिये पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर विशेष तौर पर आज सुबह भोपाल पहुंचे.
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