MP: कोरोना काल में अपने हुनर को निखार रहे हैं बच्चे, घरों में बनाई जा रही है राखी

सरकार ने कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए यह आवश्यक कदम उठाए हैं, जिससे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा समस्या आन पड़ी है. बच्चों की बोरियत को दूर करने के साथ उनमें रचनात्मकता विकसित करने के लिए ऑनलाइन 'आर्ट एंड बियोंड' कार्यक्रम चाइल्ड राइट ऑब्जर

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Vineeta Mandal
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Rakhi 2020( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के बीच आपदा को अवसर में बदलने का आह्वान किया था. इस पर मध्यप्रदेश के बच्चे अमल कर रहे हैं और घर पर रहकर ही धागों की राखी बनाने में लगे हैं. इससे एक तरफ जहां बच्चों के समय का सदुपयोग हो रहा है तो दूसरी ओर वे नए हुनर में पारंगत भी हो रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण राजधानी में जहां 10 दिन की पूर्णबंदी है, वहीं अन्य कई स्थानों पर सप्ताह में कम से कम दो दिन की पूर्णबंदी चल रही है.

सरकार ने कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए यह आवश्यक कदम उठाए हैं, जिससे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा समस्या आन पड़ी है. बच्चों की बोरियत को दूर करने के साथ उनमें रचनात्मकता विकसित करने के लिए ऑनलाइन 'आर्ट एंड बियोंड' कार्यक्रम चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी और यूनिसेफ मिलकर चला रहा है. 

और पढ़ें: रक्षाबंधन पर ऑनलाइन राखी मिटा रही भाई बहनों के बीच दूरियां, ऐसे खरीदें

रक्षाबंधन का त्योहार करीब है और कोरोना के कारण लोग बाजार से राखी लाने में हिचक रहे हैं. इसलिए बच्चों को घर में ही धागे, ऊन, मोती, गोटा आदि की मदद से राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. राखी बनाने की कला में दक्ष इंदौर की रचना जोशी ने बच्चों को राखी बनाने का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया.

जोशी ने बच्चों को धागा, ऊन, फेबिकोल, गोटा, चूड़ी, मोती से आकर्षक और रंग-बिरंगी राखी बनाने का बेविनार के जरिए प्रशिक्षण दिया. इस प्रशिक्षण के दौरान ही बच्चों ने राखियां बनाईं. बच्चों ने जोशी से सवाल जवाब किए और अच्छी राखी बनाने में केाई कसर नहीं छोड़ी.

इस बेविनार में प्रदेश के विभिन्न स्थानों के बच्चों ने राखी बनाने का प्रशिक्षण हासिल किया और राखी के लिए आगामी दिनों में आकर्षक राखियां बनाने की बात कही. इस प्रयास से जहां बच्चों में नया हुनर विकसित होगा, वहीं उन्हें कोरोना के संक्रमण से दूर रखा जा सकेगा, क्योंकि वे बाजार राखी खरीदने नहीं जाएंगे और बाजार का सामान भी घरों तक नहीं आएगा. इनमें से ज्यादातर राखियां ईकोफ्रेंडली भी हैं, क्योंकि उनमें ऊन और धागों का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है.

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