मध्यप्रदेश में रेत खनन का अवैध कारोबार एक बार फिर मुद्दा बनने लगा है. अवैध खनन को लेकर विवाद तो सामने आ ही रहे हैं, वहीं कांग्रेस के हमलों के बीच भाजपा के भीतर से भी अवैध खनन को लेकर आवाजें उठने लगी हैं. राज्य में ग्वालियर-चंबल इलाके से लेकर बुंदेलखंड, जबलपुर, होशंगाबाद में रेत के अवैध कारोबार का मुद्दा हमेशा गर्म रहता है. मुरैना में तो एक आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की खनन माफियाओं द्वारा हत्या भी कर दी गई थी. अभी वहां के हालात नहीं सुधरे हैं. इलाका कोई भी हो जब भी अवैध खनन कारोबारियों के खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई करने की कोशिश की है तो माफिया ही उन पर हमला करने से नहीं चूके हैं.
अवैध खनन को लेकर कांग्रेस की ओर से लगातार आरोप लगाए जाते रहे हैं, पिछले दिनों मुरैना में वन विभाग की महिला अधिकारी श्रद्धा पांढरे पर हुए हमले ने तूल पकड़ा था. महिला अधिकारी पर बीते दो माह में आठ बार खनन माफियाओं ने हमले किए, अब उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा सरकार की ओर से दी जा चुकी है.
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एक तरफ जहां कांग्रेस अवैध खनन को लेकर हमले बोलती रहती है तो वहीं अब सरकार के भीतर से भी आवाजें उठने लगी हैं. मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भी अवैध खनन के मामले ने तूल पकड़ा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने तो नर्मदा नदी में होने वाले अवैध खनन का मामला उठाया और कहा कि इससे सरकार की छवि खराब होती है, अफसरों की नहीं. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अवैध खनन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए.
सिर्फ कृषि मंत्री कमल पटेल नहीं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी अवैध खनन का मामला उठाया और उस पर रोक लगाने की मांग करते हुए अवैध खनन को रोकने वाले अफसरों पर होने वाले हमले का भी जिक्र किया. राज्य सरकार के सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने भी रेत में होने वाले खेल का मामला उठाया. उन्होंने ओवर लोडिंग का जिक्र करते कहा कि मध्य प्रदेश से एक ट्रक जाता है और उत्तर प्रदेश में सीमा पर रेत को खाली कर दो ट्रक में बदल दिया जाता है.