देश में मिठाइयों और नमकीन उत्पादों का बाजार भी कोविड-19 (Coronavirus Covid-19) का प्रकोप झेल रहा है. आर्थिक संकट से ग्राहकों की कमी के बीच मजदूरों की किल्लत के चलते मिठाई-नमकीन निर्माताओं ने अपनी इकाइयों की उत्पादन क्षमता घटा दी है. जानकारों का अनुमान है कि महामारी की मार के चलते राष्ट्रीय स्तर पर मिठाई-नमकीन उद्योग को मौजूदा वित्तीय वर्ष में करीब 35,000 करोड़ रुपये का कारोबारी घाटा झेलना पड़ सकता है.
फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स के निदेशक फिरोज एच. नकवी ने मुंबई से फोन पर सोमवार को बताया, "बाजार पर कोविड-19 के दुष्प्रभावों के मद्देनजर हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान देश में मिठाइयों और नमकीन उत्पादों का कुल कारोबार घटकर 65,000 करोड़ रुपये के आस-पास रहने वाला है." उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश में मिठाई-नमकीन उद्योग का कारोबार करीब 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर रहा था. इसमें मिठाइयों का 60,000 करोड़ रुपये का कारोबार शामिल है.
नकवी ने बताया कि कोविड-19 संकट के कारण मिठाइयों के कारोबार पर ज्यादा बुरा असर पड़ा है. उन्होंने बताया, "कोविड-19 के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कारोबार ठप रहने से संयंत्रों और दुकानों में मिठाइयों का बड़ा स्टॉक खराब हो गया जिससे निर्माताओं व विक्रेताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ा है."
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में ढील के बाद मिठाइयों और नमकीन उत्पादों की बिक्री ने जून से थोड़ी रफ्तार पकड़ी है. लेकिन संकेत बहुत ज्यादा उत्साहजनक नहीं हैं क्योंकि कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक संकट के चलते लोगों की खरीद क्षमता पर असर पड़ा है. देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र में मिठाइयां और नमकीन उत्पाद बनाने वाली इकाइयों की तादाद दो लाख से ज्यादा आंकी जाती है. बाजार के मौजूदा सूरते-हाल के कारण इनमें से अधिकांश इकाइयों ने अपनी उत्पादन क्षमता घटा दी है.
नकवी ने बताया, "मिठाई-नमकीन कारखानों में काम करने वाले हजारों प्रवासी मजदूर कोविड-19 के प्रकोप के चलते अपने गांव लौट गये थे. इस वजह से भी इन कारखानों की रफ्तार धीमी पड़ गयी है. इसका बड़ा असर मिठाइयों के उत्पादन पर पड़ा है क्योंकि आज भी कई मिठाइयां हाथों से बनायी जाती हैं."
उन्होंने कहा, "मिठाई-नमकीन उद्योग को अब दीपावली के आगामी त्योहार से थोड़ी बहुत उम्मीदें हैं. लेकिन सब जानते हैं कि इस बार की दीपावली पहले जैसी नहीं रहने वाली है." नमकीन उत्पादन के मामले में इंदौर, देश का अग्रणी केंद्र है जहां इसकी सैकड़ों छोटी-बड़ी इकाइयां हैं. इंदौर के नमकीन-मिठाई निर्माता संघ के सचिव अनुराग बोथरा का अनुमान है कि कोविड-19 के प्रकोप से मार्च, अप्रैल और मई में स्थानीय नमकीन उत्पादकों को 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबारी नुकसान झेलना पड़ा है.
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उन्होंने बताया, "इंदौर में प्रशासन के आदेशों के मुताबिक सेंव और नमकीन की खुदरा दुकानों में ग्राहकों का प्रवेश 23 मार्च से बंद है. हालांकि, लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद कई सेंव-नमकीन विक्रेताओं ने ऑनलाइन बुकिंग के जरिये ग्राहकों के लिये इन उत्पादों की होम डिलीवरी सेवा शुरू की है. लेकिन इससे उतनी बिक्री नहीं हो पा रही है जो कोविड-19 के प्रकोप से पहले दुकानों में ग्राहकों के खुद आने से होती थी."