मध्यप्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर 10वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ाई का सिलसिला शुरू हो चुका है, मगर अन्य कक्षा में पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है. बच्चे स्कूल जल्दी खुलने का इंतजार कर रहे हैं. कोरोना काल के दौरान बच्चों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, यह जानने के मकसद से बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट ऑब्र्जवेटरपी (सीआरओ) ने बच्चों की बात बच्चों के साथ सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर कार्यक्रम का आयोजन किया.
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इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न हिस्सों के बच्चे जुड़े और उन्होंने अपनी बात बेबाकी से रखी. अधिकांश बच्चों का यही कहना था कि वर्तमान में ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं, मगर उन्हें बहुत सी चीजें समझ में नहीं आती. सीहोर की नेहा बडोदिया ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई में वैसे तो कोई दिक्कत नहीं है, मगर कई विषय ऐसे हैं जिन्हें ऑफलाइन कक्षाओं में ही आसानी से समझा जा सकता है. अब तो 12वीं की कक्षाएं शुरू हो गई हैं, इसलिए उनकी इस समस्या का जल्दी समाधान हो जाएगा ऐसा लगता है.
रायसेन की रिंकी विश्वकर्मा ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई में ज्यादा समझ में नहीं आता है और इस दौरान शिक्षकों से सवाल-जवाब भी बेहतर तरीके से नहीं हो पाते हैं.
राजगढ़ जिले की रूपा नाथ ने कोरोना काल के दौरान पढ़ाई में आ रही दिक्कतों का जिक्र करते हुए बताया कि कई ऐसे बच्चे हैं जिनके घर में न तो टेलीविजन है और न ही मोबाइल, ऐसे में उनकी पढ़ाई ही नहीं हो पा रही है.
निवाड़ी में सातवीं कक्षा पढ़ने वाले अंकित ने कहा कि जल्दी स्कूल खुल जाना चाहिए, घर में रहकर पढ़ाई नहीं होती, जो भी वह पढ़ाई करते हैं वह ट्यूशन के जरिए हो पा रही है. टेलीविजन और मोबाइल ना होने के कारण दूसरों से सहयोग लेना पड़ता है.
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इस संवाद के दौरान सीआरओ की अध्यक्ष और राज्य की पूर्व मुख्यसचिव निर्मला बुच ने कहा कि बच्चों ने जो सुझाव दिए है, उन्हें जिम्मेदार लोगों तक भेजा जाएगा. साथ ही उन्हें स्कूलों में कोरोना को लेकर तय की गई गाइडलाइन को भी अपनाने पर जोर दिया.
इस संवाद में हिस्सा लेने वाले बच्चों के सामने बड़ी समस्या टेलीविजन और मोबाइल की उपलब्धता न होने की है. कोरोना के कारण स्कूल बंद चल रहे हैं और ऑनलाइन कक्षाओं पर जोर है, यह स्थिति गरीब तबके के बच्चों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. वहीं बच्चों को अपने साथियों के साथ खेलने कूदने का मौका नहीं मिल रहा है, इसलिए बच्चे चाहते हैं कि स्कूल जल्दी शुरू हों.
Source : IANS