मध्य प्रदेश के दमोह विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में मिली हार और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों पर हो रही कार्रवाई ने भाजपा में खेमेबंदी बढ़ा दी है. इसके परिणामस्वरुप सोशल मीडिया जंग का मैदान बन गया है. दमोह के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार राहुल लोधी को कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस चुनाव की हार को भाजपा भी गंभीरता से लिया है, और चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे नेताओं पर हंटर भी चलाना शुरु कर दिया है. पांच मंडल अध्यक्ष और पूर्व मंत्री पुत्र सिद्धार्थ मलैया को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है तो वहीं पूर्व मंत्री जयंत मलैया को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
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दमोह में हुई हार के लिए राहुल लोधी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने सीधे तौर पर पूर्व मंत्री जयंत मलैया पर निशाना साधा है. वही पार्टी के पास भी जो जमीनी जानकारी आई है उसमें यह कहा गया है कि जयंत मलैया ने पार्टी उम्मीदवार का साथ नहीं दिया और राहुल लोधी के खिलाफ भी आम मतदाता में भारी असंतोष था. हार के बड़े कारण यही माने जा रहे हैं.
पार्टी की कार्रवाई को लेकर जयंत मलैया का कहना है कि कोई भी उम्मीदवार 17 हजार वोटों से हारता है तो इसका आशय है कि जनता उससे नाराज है . कोई किसी को कुछ सौ वोट से तो हरा सकता है मगर 17 हजार वोटों से कोई नहीं हरा सकता . अगर हरा सकती है तो सिर्फ जनता और राहुल लोधी के साथ भी यही हुआ है. दमोह की जनता पार्टी से नाराज नहीं थी मगर राहुल लोधी से नाराज थी और उसने जवाब दिया है.
पार्टी संगठन द्वारा की गई कार्रवाई के बाद कई नेताओं ने बगैर किसी का नाम लिए हमले बोले हैं . इनमें वे नेता ज्यादा शामिल हैं जो इन दिनों पार्टी या सत्ता में जिम्मेदार पदों पर आसीन नहीं है. साथ ही ये वे नेता है जिन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सियासी तौर पर साथ नहीं मिल रहा है. पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी और कुसुम महदेले ने जयंत मलैया को जारी किए गए नोटिस पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर सवाल खड़े किए हैं तो वही विधायक व पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने भी सोशल मीडिया पर इशारो इशारो में पार्टी नेताओं को घेरा है.
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दमोह का उपचुनाव राहुल लोधी बनाम अजय टंडन के बीच था. जनता इस बात से ज्यादा नाराज थी कि राहुल लोधी ने दलबदल किया है. साथ ही राहुल लोधी के उस बयान की चर्चा रही जिसे उन्होंने दलबदल करने से पहले दिया था. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि राहुल लोधी करोडों रूपये लेकर भाजपा में शामिल हुए हैं. हालांकि पार्टी संगठन ने भरपूर मेहनत की मगर राहुल लोधी को नहीं जीता पाया, हां इतना जरूर है कि राहुल के खिलाफ जनता में जितना असंतोष था, उतनी बड़ी हार शहरी इलाके में राहुल की नहीं हुई है. सत्ता और संगठन जोर नहीं लगाता तो हार का अंतर बहुत बड़ा होता.
वरिष्ठ पत्रकार संतोष गौतम का कहना है कि जयंत मलैया राज्य की सियासत में प्रभावशाली नेता रहे है, कई बार मंत्री बने. उनकी राजनीतिक शैली भी जनता के करीब लाने वाली रही है. यही कारण है कि दमोह में भाजपा ने उम्मीदवार बदला और बड़ी हार का सामना करना पड़ा. पाटी ने विरेाधी गतिविधियों में शामिल नेताओं पर कार्रवाई की है, पार्टी को और आगे बढ़ने से पहले अब यह भी मंथन करना चाहिए कि कहीं इससे क्षेत्रीय किसी बड़े नेता का हित तो नहीं सध रहा है.