खुद नहीं पढ़ सका लेकिन स्कूल के लिए किसान ने दान की अपनी जमीन

जिन्होंने अपनी करीब सवा करोड़ रुपए कीमत की 17 बीघा जमीन मॉडल स्कूल और शासकीय कॉलेज के लिए दान कर दी है.

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yogesh bhadauriya
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खुद नहीं पढ़ सका लेकिन स्कूल के लिए किसान ने दान की अपनी जमीन

किसान कमल सिंह धाकड़( Photo Credit : News State)

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कहते हैं जिनके अपने सपने पूरे नहीं होते वे दूसरों के पूरे करते हैं. इस बात को हकीकत में बदल रहे हैं मध्य प्रदेश के किसान कमल सिंह धाकड़. जिन्होंने अपनी करीब सवा करोड़ रुपए कीमत की 17 बीघा जमीन मॉडल स्कूल और शासकीय कॉलेज के लिए दान कर दी है.

विदिशा जिले की नटेरन तहसील के स्थित सेऊके गांव के किसान कमल सिंह धाकड़ आज पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन चुके हैं. 51 वर्षीय कमल सिंह बताते हैं कि वर्ष 2010 में वह ग्राम पंचायत सेऊके सरपंच भी थे. उस समय केंद्रीय योजना के तहत नटेरन में मॉडल स्कूल मंजूर हुआ था, लेकिन नटेरन में भवन के लिए शासकीय जमीन उपलब्ध नहीं थी.

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स्कूल में पढ़ रहे 400 बच्चे

कमल सिंह बताते हैं कि दो साल के भीतर इस जमीन पर भवन बनकर तैयार हो गया. आज इस स्कूल में करीब 400 बच्चे पढ़ रहे हैं. इसी तरह तीन साल पहले नटेरन में शासकीय कॉलेज के लिए जमीन नहीं मिल रही थी. अधिकारियों ने उनसे जमीन देने का आग्रह किया. उन्होंने अपनी 12 बीघा जमीन कॉलेज के लिए दे दी. इस जमीन पर अब भवन बनकर तैयार है. इसके अलावा वे मार्केटिंग सोसायटी के लिए एक बीघा और कोर्ट भवन के लिए भी पांच बीघा जमीन दान कर चुके हैं.

कमल सिंह के मुताबिक इस तरह वे अब तक कुल 23 बीघा जमीन दान कर चुके हैं, जिसमें से 17 बीघा स्कूल और कॉलेज के लिए है. नटेरन -सेऊ मार्ग पर स्थित इस जमीन का वर्तमान में बाजार मूल्य करीब सात लाख रूपये बीघा है. कमल सिंह बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वे आठवीं के बाद नहीं पढ़ सके.

संयुक्त परिवार के पास 300 बीघा जमीन

खेती में जमकर मेहनत की और गांव के आसपास जमीन खरीदी. आज पांच भाइयों के संयुक्त परिवार के पास करीब 300 बीघा जमीन है. जब बच्चों की शिक्षा की बात आई तो वे जमीन देने में पीछे नहीं हटे. उनके इस फैसले में उनका पूरा परिवार साथ रहा. पहली बार जमीन दान करते समय उनके पिता मूलचंद धाकड़ भी जीवित थे. उन्होंने भी बेटे के जमीन दान करने के निर्णय पर खुशी ही जाहिर की थी.

कमल सिंह धाकड़ ने बताया कि जमीन दान करने के पीछे मेरी भावना गांव के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना है. मेरे पिताजी और फिर भाइयों ने इस पर कभी आपत्ति नहीं की. खुशी मिलती है जब देखता हूं कि गांव के बच्चे बेहतर स्कूल-कॉलेज में पढ़ रहे हैं.

Source : News State

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