मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में दोषी की आजीवन कारावास की सजा को 20 साल के कारावास में बदल दिया है. हाईकोर्ट ने इस आधार पर सजा को कम कर दिया कि 4 साल की पीड़िता के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या नहीं की थी. हाईकोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और जस्टिस एसके सिंह ने यह निर्णय सुनाया. इस मामले में दोषी ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपील की थी. अपीलकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उसे झूठा फंसाया गया है. उसने कोर्ट से अपील की है कि उसकी सजा को उस समय तक कम कर दिया जाए, जितना वक्त वे जेल में बिता चुका है. आरोपी जेल में 15 वर्ष का समय बिता चुका है.
कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया कि दोषी पीड़ित पक्ष को जीवित छोड़ने में पर्याप्त दयालु रहा है. ऐसे में उसकी आजीवन कारावास की सजा को 20 साल में बदला जा सकता है. उसने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि एफएसएल रिपोर्ट केा सामने नहीं लाया गया है. दोषी राम सिंह ने 31 मई 2007 को एक मासूम बच्ची के साथ रेप किया था. इसके बाद जिला एवं सत्र न्यायालय से उसे 25 अप्रैल 2009 को उम्र कैद की सजा हुई थी.
हालांकि, इस मामले में राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह मामला किसी भी प्रकार से नरमी के योग्य नहीं है. ऐसे में अपीलकर्ता की अपील को खारिज कर दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी माना कि ट्रायल कोर्ट में पेश किए गए सबूतों के आधार पर सुनाए गए फैसले में कोई कमी नजर नहीं आती है. कोर्ट ने दोषी के कृत्य केा राक्षसी भी माना.
दोषी लड़की के परिवार के पास रहता था. लड़की का परिवार और दोषी मजदूरी करते थे. दोषी ने लड़की को झोपड़ी में बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया. उसे बलात्कार करते हुए लड़की की दादी ने देख लिया. इसके पश्चात पुलिस में प्रकरण दर्ज किया गया. ट्रायल कोर्ट में पर्याप्त सबूतों और गवाही के आधार पर दोषी को सजा दी गई.
Source : Nitendra Sharma