भारत को मसालों का घर कहा जाता है. यहां के मसाले दुनियाभर में मशहूर है. भारतीय के घरों में ऐसे-ऐसे मसाले मिल जाते हैं, जो किसी औषधि से कम नहीं है. भारत में मसालों का इतिहास भी काफी पुराना है. इसके प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता से भी मिलते हैं. भारतीय मसालों की वजह से ही विदेशी यहां पहुंचे और फिर कई मसालों की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ गई. वहीं, इस बीच कई बार मसालों को लेकर अजीबोगरी सवाल भी उठते रहे हैं. कई लोग टमाटर को सब्जी बताते हैं तो कुछ लोग फल.
लहसुन सब्जी है या मसाला?
कुछ इसी तरह कुछ लोग लहसुन को सब्जी की कैटेगरी में रख रहे हैं तो कुछ लोग मसाले की. आप लहसुन को किस कैटेगरी में रखते हैं? खैर, यह मामला कोर्ट पहुंच चुका है. मध्य प्रदेश के किसान और ट्रेडर्स के बीच लहसुन का मामला कोर्ट पहुंच गया. किसान लहसुन को सब्जी की कैटेगरी में रख रहे हैं तो वहीं ट्रेडर्स इसे मसालों की कैटेगरी में रख रहे हैं. यह मामला आज का नहीं बल्कि 9 साल पुराना है. जिस पर आखिरकार एमपी के कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
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9 साल बाद लहसुन पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
आपको बता दें कि पहले लहसुन को मसाले की श्रेणी में रखा गया था, लेकिन एमपी के किसानों के अनुरोध पर एमपी मंडी बोर्ड ने लहसुन को सब्जी की श्रेणी में रख दिया. वहीं, इस आदेश को कुछ समय बाद ही कृषि विभाग ने खारिज कर दिया और एक बार फिर से लहसुन को मसाले की श्रेणी में रख दिया. कृषि विभाग ने कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम (1972) का हवाला देते हुए कहा कि इसे मसाले की श्रेणी में रखा गया था तो यह इसी श्रेणी में रखा जाएगा.
कोर्ट ने लहसुन को बताया 'सब्जी'
वहीं, 2017 में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डी वेंकटरमन और एसए धर्माधिकारी की खंडपीठ ने लहसुन पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह जल्दी खराब हो जाता है. इसलिए यह एक सब्जी है. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ फिर से याचिका दायर की गई और एक बार फिर से जनवरी, 2024 में सुनवाई करते हुए डबल जज की बेंच वेंकटरमन और जस्टिस धर्माधिकारी ने इसे मसाले की श्रेणी में रख दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस फैसले से सिर्फ व्यापारियों को लाभ हुआ, ना कि किसानों को. वहीं, एक बार फिर से लहसुन पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसे सब्जी की श्रेणी में रख दिया है.