मध्य प्रदेश में आवारा गौ-वंश को आश्रय देने के लिए अमल में लाई जा रही गौ-शाला परियोजना में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) मदद करने आगे आ रहे हैं. कई संस्थान तो गौ-शाला को गोद लेने तक को तैयार हैं. राज्य में सत्ता बदलाव के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने हर ग्राम पंचायत में एक गौ-शाला खोलने का ऐलान किया है. इसी के तहत गौ-शालाएं शुरू की जा रही हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को गौ-शाला परियोजना की समीक्षा की और इसमें कहा गया कि आठ जिलों में विभिन्न संस्थाएं गौ-शाला परियोजना में सहयोग के लिए रुचि दिखा रही हैं.
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आधिकारिक तौर पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भी गौ-शालाओं के प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए आगे आ रहे हैं. बायफ जैसी संस्थाएं गौ-शाला गोद लेने को तैयार हैं. गौ-शाला नीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है और गौ-शाला विधेयक का ड्राफ्ट भी तैयार किया जा रहा है.बैठक में कहा गया कि राज्य में अभी छह सौ से ज्यादा ऐसे स्थानों को चुना गया है, जहां गौ-शाला स्थापित की जा सकती हैं. नौ हजार से ज्यादा बेसहारा गौ-वंश को आसरा देने का काम शुरू हो गया है.
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मुख्यमंत्री ने प्रदेश में काम कर रही औद्योगिक कंपनियों के सोशल कॉरपोरेट रिस्पांसिबिलिटी फंड के उपयोग की गाईड लाइन में गौ-शाला के संचालन के लिए भी फंड देने का प्रावधान शामिल करने के निर्देश दिए हैं.
Source : IANS