मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के उपचार में ऑक्सीजन की कमी एक बड़ी बाधा बनकर सामने आई थी. उसके बाद से लगातार ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की कवायद चल रही है. राज्य में हवा से ऑक्सीजन बनाने वाले 20 प्लांट स्थापित किए जा चुके है, वहीं कुल 111 प्लांट स्थापित किए जाना है . कोरोना की दूसरी लहर में राज्य में कई समस्याएं सामने आई थी उसमें सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन की कमी थी. यही कारण है कि राज्य को ऑक्सीजन उत्पादन में आत्म-निर्भर बनाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं इस क्रम में कोविड-19 के उपचार में प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या के निराकरण के कारगर उपाय के तौर पर लगाये जा रहे पीएसए ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो चुके हैं. राज्य सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और कम्युनिटी हॉस्टिपटल में 111 हवा से ऑक्सीजन बनाने की अनूठी टेक्नोलॉजी पर आधारित पीएसए (प्रेशर स्विंग, एडजॉव्र्सन) ऑक्सीजन प्लांट लगाने के आर्डर दिये गये थे. शासन द्वारा जारी आदेश के अनुक्रम में अब तक 20 प्लांट लगाये जा चुके हैं.
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स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने बताया कि पीएसए ऑक्सीजन प्लांट को समय पर लगाने के लिये संबंधित निर्माता कम्पनियों को निर्देशित किया गया है. तय योजना के मुताबिक राज्य में 15 जून तक 25, 30 जून तक 40, 30 जुलाई तक 81, 30 अगस्त तक 91 और 30 सितम्बर तक पूरे 111 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना अस्पतालों में कर दी जायेगी. इनसे अस्पताल के लिये ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित होगी.
उन्होंने बताया कि अस्पतालों में उपलब्ध ऑक्सीजन बेड और आईसीयू आदि को ध्यान में रखते हुए जरूरत की ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित हो सके, इसी अनुक्रम में क्षमता के पीएसए प्लांट लगाये जा रहे हैं. इसमें 100 लीटर प्रति मिनिट से लेकर 1500 लीटर प्रति मिनिट की क्षमता वाले पीएसए प्लांट शामिल हैं. पीएसए प्लांट्स की स्थापना 10 बिस्तर के आईसीयू अस्पतालों से लेकर 150 बिस्तर (आईसीयू) वाले अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये की जा रही है. पीएसए ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थापना केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के मदद से प्राप्त राशि से की गई है.