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मध्य प्रदेश : कोरोना से थम चुकी लोगों की जिंदगी, धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहीं

कुछ शर्तो के साथ व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा अन्य कामकाज धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं. राज्य में एक तरफ जहां जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं रोजगार के अवसर उपलब्ध करने के प्रयास तेज हो गए हैं.

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yogesh bhadauriya
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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

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कोरोना महामारी के चलते बरते गए एहतियाती कदमों के कारण मध्य प्रदेश में भी आम जिंदगी पूरी तरह थम चुकी थी, मगर अब कई हिस्सों में धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. कुछ शर्तो के साथ व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा अन्य कामकाज धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं. राज्य में एक तरफ जहां जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं रोजगार के अवसर उपलब्ध करने के प्रयास तेज हो गए हैं. गांव में ही लोगों को रोजगार मिल सके, इसके लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (म.प्र.) के तहत निर्माण व विकास कार्य शुरू किए गए हैं.

आधिकारिक तौर पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 20 अप्रैल से कोरोना संक्रमित क्षेत्रों को छोड़कर शेष ग्राम पंचायतों में मनरेगा की रोजगार मूलक गतिविधियां की गइर्ं, जिनमें अब 22 हजार 70 ग्राम पंचायतों में एक लाख 25 हजार 61 कार्य शुरू हो गए हैं. इनमें 11 लाख 25 हजार 893 श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार मिलने लगा है और यह क्रम लगातार जारी है.

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एक तरफ जहां ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करने के लिए मनरेगा के काम शुरू हो गए हैं, वहीं कुछ बंदिशों के साथ औद्योगिक गतिविधियां भी गति पकड़ने लगी हैं. राज्य के उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव डॉ़ राजेश राजोरा ने कहा है कि रेड और ऑरेंज जोन के जिलों के कंटेनमेंट जोन में किसी भी तरह कि औद्योगिक गतिविधि की अनुमति नहीं रहेगी. इन जिलों के ग्रामीण क्षेत्र में (कन्टेनमेंट क्षेत्र के बाहर) सभी औद्योगिक गतिविधियां संचालित होंगी. इनको शुरू करने के जिला कलेक्टर से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी.

इसी प्रकार, रेड एवं ऑरेंज जोन के जिलों के नगरीय क्षेत्रों (कन्टेनमेंट जोन के बाहर) में उद्योग संचालित करने के लिए जिला संकट प्रबंधन ग्रुप से अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा.

इसके साथ ही तय निर्देर्शो के अनुसार ग्रीन जोन के जिलों में सभी तरह के उद्योग शुरू हो जाएंगे. इसके लिए जिला कलेक्टर अथवा डीसीएमजी की पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं होगी. इन क्षेत्रों में श्रमिकों, कर्मचारियों, कच्चे माल तथा तैयार उत्पाद के आवागमन के लिए भी किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. वहीं रेड, ऑरेंज तथा ग्रीन जोन के जिलों में क्रियाशील समस्त उद्योगों में कन्टेनमेंट जोन में रहने वाले श्रमिकों, कर्मचारियों, अधिकारियों को कार्य करने की अनुमति नहीं होगी.

इसी तरह राज्य के ग्रीन जोन वाले जिलों में दीगर गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं. निर्माण कार्य शुरू किए जा चुके हैं, दैनिक उपयोग की सामग्री के दुकानें भी खुल रही हैं, सब्जी बाजार व फल आदि की दुकानें खुल रही हैं, जिससे आम जनजीवन सामान्य होने लगा है. राज्य में इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर आदि जिलों के बड़े हिस्से में किसी भी तरह की गतिविधियां शुरू नहीं हो पाई है क्योंकि इन जिलों का हिस्सा रेड जोन की श्रेणी में रखा गया है.

राज्य सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने के लिए बस की व्यवस्था की और एक विशेष रेलगाड़ी से नासिक से मजदूरों को वापस लाया गया है. आगामी समय में 31 रेल गाड़ियां चलाने की योजना है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के सरकार की ओर से निर्देश दिए जा रहे हैं. वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए कि कहीं भी यह स्थिति न बने कि टेंपो, ट्रक अथवा अन्य साधनों से एक साथ बहुत से श्रमिक को लाया ले जाया जाए.

https://www.newsnationtv.com/states/madhya-pradesh/madhya-pradesh-case-filed-against-500-for-stone-pelting-on-police-141113.html

Source : IANS

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