मध्यप्रदेश में नए मंडी कानून की विसंगतियों को दूर करने के साथ राज्य सरकार ने मंडी कर घटाने का फैसला लिया है. अब कर डेढ़ रुपये के बजाय 50 पैसे ही लगेंगे. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति के बाद अब प्रदेश की मंडियों में मंडी कर एक रुपये 50 पैसे के स्थान पर केवल 50 पैसे वसूला जाएगा, इसके साथ ही निराश्रित सहायता के 20 पैसे वसूलना भी बंद कर दिया गया है. राज्य सरकार के इस फैसले के बाद पिछले 13 दिन से हड़ताल कर रहे व्यापारी मंडी लौट आए हैं.
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मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति के प्रतिनिधिमंडल से मंगलवार को चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, मंडियों को स्मार्ट स्वरूप दिया जा रहा है. मंडी परिसर मल्टीपरपज कैंपस के रूप में विकसित किए जा रहे हैं. केंद्र द्वारा द फार्मर प्रोड्यूसर ट्रेड एंड कॉमर्स अध्यादेश लागू किए जाने के बाद किसानों और व्यापारियों को मंडी परिसर में निरंतर बेहतर सुविधा मिलती रहे, इसके लिए आवश्यक संरचना और रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि नए मंडी एक्ट से अब किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने की छूट है, अनाज के भंडारण के लिए लायसेंस की बाध्यता भी खत्म हो गई है. मंडी के बाहर कारोबार पर कोई मंडी टैक्स नहीं था, लेकिन मंडी में एक रुपये 50 पैसे मंडी टैक्स देने के साथ ही 20 पैसे निराश्रित सहायता शुल्क देना पड़ता था. व्यापारी मंडी टैक्स घटाने की मांग को लेकर पिछले 13 दिन से हड़ताल पर थे.
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सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापार समिति के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने कहा कि सरकार के इस फैसले से व्यापारियों को राहत मिलने के साथ मंडियों को बचाने का रास्ता भी खुला है. किसानों का मंडियों पर भरोसा है, किसानों के कल्याण के लिए मंडियों का अस्तित्व बचा रहे इसके लिए वह मंडी शुल्क जारी रखना चाहते हैं, लेकिन खुले बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए वह इसमें कमी चाहते थे उनकी मांग मंगलवार को कृषि मंत्री कमल पटेल से चर्चा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति के बाद पूरी हो गई है. इससे मंडियों में व्यापार फिर शुरू हो गया है.
Source : IANS