मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार (Shivraj Cabinet Expansion) की तारीख करीब आ गई है और भाजपा इस विस्तार के जरिए नए चेहरों को तरजीह देने का मन बना चुकी है. पार्टी के इसी प्रयास पर कुछ पुराने और अनुभवी नेता एतराज भी दर्ज करा रहे हैं. राज्य में सत्ता बदलाव हुए लगभग तीन माह का वक्त गुजर गया है, क्योंकि भाजपा संतुलित, स्थाई और नए चेहरों को शामिल करने की कोशिशों में लगी हुई है. यही कारण रहा कि तारीख लगातार बढ़ती जा रही है. अब विस्तार होना लगभग तय है. आगामी एक-दो दिन में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं बनी हुई हैं.
और पढ़ें: MP Cabinet Expansion: सिंधिया गुट ने 9 और मंत्री पद मांगे, फाइनल लिस्ट आज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से कई दौर की चर्चा हो चुकी है और नामों पर भी विचार लगभग पूरा हो चुका है. मुख्यमंत्री चौहान भी कह रहे हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार बुधवार के बाद कभी भी हो सकता है उनका दावा है कि विस्तार जल्दी ही होगा.
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा में भेजा जा चुका है, वही उनके साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले तत्कालीन विधायकों में से अधिकांश को मंत्री बनाने पर पहले से ही सहमति बन चुकी है. दो मंत्रियों को पहले ही विस्तार में जगह मिल चुकी हैं और आगामी समय में नौ से 10 और ऐसे सदस्य मंत्रिमंडल में ष्षामिल किए जाने वाले है जो सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे.
वहीं ,दूसरी ओर भाजपा को 15 नामों का चयन करना है. पार्टी की कोशिश है कि इन 15 नामों में आधे लगभग सात से आठ पुराने और अनुभवी चेहरे हो तो इतने ही नए चेहरों को जगह दी जाए. इस स्थिति में कई अनुभवियों के नाम कटने की संभावना बनी हुई है, जिन लोगों के नाम कटने वाले हैं वह पार्टी पर परोक्ष रूप से दबाव बनाने में लगे हैं.
मध्य प्रदेश में भाजपा की सियासत पर गौर करें तो एक बात साफ होती है कि पार्टी अब युवा वर्ग को आगे करने का मन बना चुकी है. पहले प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई उसके बाद शर्मा ने राज्य में जितने भी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की है उनमें अधिकांश युवा और नए चेहरे हैं. अब पार्टी सरकार में भी नए चेहरों को जगह देना चाहती है.
यें भी पढ़ें: एमपी में कल से शुरू होगा 'किल कोरोना' अभियान, घर-घर होगा सर्वे
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का मानना है कि भाजपा प्रदेश संगठन के साथ सरकार के स्वरुप में बदलाव लाना चाहती है और उसकी यह आगामी रणनीति का हिस्सा भी है. पार्टी इस पर अमल करती है तो इससे वरिष्ठ नेताओं के मंत्री बनने में अड़चन आने वाली है. ऐसा हेाने पर पार्टी में असंतोष की संभावना केा नकारा नहीं जा सकता. अब देखना हेागा कि पार्टी अपने स्वरुप केा बदलने के साथ असंतोष केा किस तरह से काबू में रखती है.
भाजपा सूत्रों का दावा है कि मंत्रिमंडल का गुरुवार को विस्तार हो सकता है. प्रभारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी बुधवार को आकर गुरुवार तक रुकने वाली हैं. पहले उनके बुधवार को ही लौटने की चर्चाएं थीं. जिन नेताओं के नामों केा लेकर संशय बना हुआ है वे लगातार संगठन के सामने अपनी बात रख रहे हैं.