मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों की याद में एक स्मारक बनाया जायेगा. भोपाल गैस त्रासदी की गुरुवार को 36 वीं बरसी पर चौहान ने इस त्रासदी में पतियों को खोने वाली विधवाओं को 1,000 रुपये प्रति माह पेंशन देने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज भोपाल गैस त्रासदी को 36 वर्ष हो गये हैं, लेकिन आज भी उस त्रासदी का असर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. फिर कोई शहर भोपाल नहीं बने, आज यह संकल्प लेने का अवसर है. विकास के साथ पर्यावरण की रक्षा का भी हम प्रण लें, तभी यह संभव होगा.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘भोपाल में गैस त्रासदी के पीड़ितों की याद में स्मारक बनाया जायेगा, जो संकल्प पैदा करेगा कि फिर ऐसी गैस त्रासदी दुनिया में कहीं नहीं हो. हमारे भाई-बहन जो दो और तीन दिसंबर की रात इस त्रासदी के कारण नहीं रहे, मैं उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं.’’ इसके अलावा चौहान ने कहा कि गैस कांड की पीड़ित विधवाओं को 2019 में बंद कर दी गयी 1,000 रुपये प्रतिमाह की पेंशन आजीवन दी जायेगी.
उन्होंने कहा कि अपने पतियों को खोने वाली ये महिलायें भी बीमारियों से पीड़ित हैं और इन्हें सहायता की जरुरत है. दुनिया की सबसे भीषणतम औद्योगिक त्रासदी की बरसी पर यहां सर्वधर्म सभायें आयोजित कर मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.
वहीं, भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि एनजीओ की अगुवाई गैस त्रासदी के पीड़ितों ने बंद बड़ी यूनियन कार्बाइड संयंत्र के पास कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करने हुए मानव श्रंखला बनाई.
उन्होंने कहा कि इस दौरान डॉव के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिम फिटरलिंग का पुतला भी जलाया गया. गैस पीड़ितों के चार संगठनों ने पीड़ितों के बिगड़ते स्वास्थ्य और स्थानीय मिट्टी तथा भूजल में जारी प्रदूषण के लिए अमरीका की डॉव केमिकल कम्पनी (जिसने यूनियन कार्बाइड को ले लिया) का कानूनी ज़िम्मेदारी से भागने की तीव्र भर्त्सना की .
संगठनों ने आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश की सरकारों पर अपराधी कम्पनी से सही मुआवज़ा हासिल नहीं करने और पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास के अधिकारों के हनन का किया है. ढींगरा ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कोरोना महामारी से मारे गए गैस पीड़ितों की संख्या कम बताकर झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप भी लगाया.
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा, "पिछले दस सालों में केंद्र तथा प्रदेश सरकारों के अधिकारियों ने हमें सर्वोच्च न्यायालय में अमरीकी कम्पनियों से अतिरिक्त मुआवज़े के लिए लंबित सुधार याचिका में मौतों और बीमारियों के आंकड़े सुधारने का लिखित आश्वासन दिया है. पर इन आश्वासनों को कभी पूरा नहीं किया गया.
दूसरी तरफ गैसकाण्ड के दूरगामी प्रभाव पर सरकारी चिकित्सीय शोध या तो बंद कर दिया गया है या दबा दिया गया है. गैसजनित पुरानी बीमारियों का इलाज आज भी लाक्षणिक दवाओं से हो रहा है, पीड़ितों के पुनर्वास का काम बंद पड़ा है और मिट्टी और भूजल की ज़हर सफाई के लिए कोई सरकारी योजना तक नहीं है.’’
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गौरतलब है कि पुराने शहर के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र से 2-3 दिसंबर 1984 की रात को मिथाइल आसोसाइनाइट गैस के रिसाव के कारण 15,000 से अधिक लोग मारे गये थे. इस विषाक्त गैस के रिसाव के कारण पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे.
प्रदेश के स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक भोपाल जिले में संक्रमण से अब तक 518 लोगों की मौत हो चुकी है. ढींगरा ने दावा किया, ‘‘हमने इन 518 मृतकों में से 450 के घरों का दौरा किया है. इन 450 लोगों में से 254 भोपाल गैस प्रभावित थे.’’
Source : Bhasha