यूं तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस को कांग्रेस अपना बीजेपी से भी बड़ा शत्रु मानती है. गाहे-बगाहे राहुल गांधी से लेकर पार्टी के आला नेता संघ पर जुबानी हमला करते रहते हैं, लेकिन बात अगर संगठन विस्तार, कार्यकर्ता निर्माण के साथ-साथ जमीनी स्तर पर समाज की नब्ज़ टटोलने और नये कार्यकर्ताओं को गढ़कर संगठन को मजबूत बनाने की बात हो तो इस मामले में अब काग्रेंस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से सीख लेने में कोई गुरेज नहीं है. ये बात मध्य प्रदेश कांग्रेस के संदर्भ में सामने आयी है.
ग्राउंड लैबल फीडबैक के लिए फैसला
आपको बता दें कि 2023 में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए इस बार प्रदेश कांग्रेस ने रणनीतिक फेरबदल किया है. दरअसल अब मध्य प्रदेश कांग्रेस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राह पर चलेगी. कांग्रेस पार्टी ने अब आरएसएस की तर्ज पर हर जिले में एक संगठन मंत्री नियुक्त करने की तैयारी कर ली है. इस संगठन मंत्री के जिम्मे पार्टी को जमीनी स्तर पर होने वाली तमाम राजनीतिक गतिविधियों का फीडबैक देना होगा. संगठन मंत्री के फीडबैक को कांग्रेस पक्की रिपोर्ट मानकर फैसले लेगी.
कॉपी नहीं कर्मठ कार्यकर्ता से बनती है बात
हर जिले में संगठन मंत्री बनाने की रणनीति पर बीजेपी कांग्रेस की चुटकी ले रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस की अपनी कोई रणनीति नहीं है. कांग्रेस बीजेपी के ही परंपरागत फॉर्मूले की कॉपी कर रही है. कांग्रेस के पास कर्मठ कार्यकर्ताओं का अभाव है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस बीजेपी और संघ की कितनी भी नकल कर ले, लेकिन बीजेपी की तरह निष्ठावान कार्यकर्ता उसे नहीं मिल सकेंगे. अगले चुनाव में कांग्रेस की हार निश्चित है.
जिला स्तर पर बनेगी रणनीति
मध्य प्रदेश कांग्रेस ग्राउंड लेबल पर पार्टी को मजबूत करने के लिए कमर कस चुकी है. कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस समिति इस बार चुनावी रणनीति के पार्टी ने हर जिले में एक संगठन मंत्री बनाने का प्लान बनाया है. प्रदेश के हर जिले में जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, सह प्रभारी और संगठन मंत्री मिलकर ग्राउंड लेबल पर काम करेंगे. वहीं, कांग्रेस के इस संघ फॉर्मूले पर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस बीजेपी और संघ की कितनी भी नकल कर ले, लेकिन बीजेपी की तरह निष्ठावान कार्यकर्ता उसे नहीं मिल सकेंगे. अगले चुनाव में कांग्रेस की पराजय तय है.
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महत्वपूर्ण होता है संगठन मंत्री
आपको बता दें कि बीजेपी में संगठन मंत्री एक पूर्णकालिक यानि कि 24 घंटे संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ता होता है जो संगठन को बूथ लेबल से लेकर अधिकारियों तक हर स्तर पर जांच-परख कर पक्की रिपोर्ट संगठन में उच्च स्तर तक पहुंचाता है. संगठन मंत्री अलग रणनीति पर काम करता है. इसमें राष्ट्रीय परिषद, प्रदेश स्तर पर परिषद, कार्यकारिणी क्षेत्रीय समिति, जिला समिति, मंडल समितियां बनाई जाती हैं. इसके साथ ही संघ के एक दूत के रूप में बीजेपी के अंदर संगठन मंत्री बनाया जाता है. यह संगठन मंत्री संघ का प्रचारक होता है. संगठन मंत्री पार्टी के फैसलों में और निचले स्तर से मिलने वाले फीडबैक को पार्टी के साथ साझा करने में अहम भूमिका निभाता है. संघ-बीजेपी की इसी रणनीति को अपनाते हुए कांग्रेस पार्टी भी उसी फॉर्मूले से मध्यप्रदेश में संगठन को मजबूत बनाने में लगी है. जिसका मकसद है ग्राउंड लेबल पर मिले फीडबैक को जुटाकर पार्टी बड़े फैसलों ले सकें.
भोपाल से काम करेगा कांग्रेस नया वॉर रूम
कांग्रेस की एक रणनीति में जहां संगठन मंत्री का फॉर्मूला है तो वहीं दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस ने क्षेत्रीय स्तर पर विधानसभा सीट जीतने के लिए भी प्लान बी तैयार किया है. जिसके लिए अलग अलग वॉर रूम बनाए जाएंगे. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का नया वॉर रूम का ठिकाना पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का घर होगा. गौरतलब है कि अब तक पीसीसी चीफ और पूर्व सीएम कमलनाथ के निवास से वॉर रूम के जरिए पूरे प्रदेश पर नजर रखी जाती थी. लेकिन इस बार पार्टी ने नगरीय निकाय चुनाव में स्थानीय स्तर पर गोपनीय वॉर रूम बना कर नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.
HIGHLIGHTS
- लक्ष्मण सिंह के घर बनेगा कांग्रेस का नया वॉर रूम
- आरएसएस की तर्ज पर कांग्रेस बना रही कमेटियां
- बीजेपी ने कांग्रेस को कहा 'कॉपी कैट'