मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को उच्च न्यायालय द्वारा अवैध करार देने और सामूहिक इस्तीफा देने के बाद गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने छात्रावास खाली करने का नोटिस जारी किया है. राज्य के जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. इससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित है और कोरोना के अलावा ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं . उच्च न्यायालय भी हडताल को अवैध करार देकर काम पर लौटने का कह चुका है, मगर जूडा ने सामूहिक इस्तीफा दिया. इसके बाद गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने जूनियर डॉक्टर के इस्तीफे मंजूर करते हुए छात्रावास खाली करने का नोटिस जारी किया है .
अधिष्ठाता द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बांड की शतरें केा पूरा करते हुए बांड की राशि जमा करें और अगर छात्रावास में निवासरत है तो खाली करे.
ज्ञात हो कि राज्य में छह चिकित्सा महाविद्यालय है और तीन हजार जूनियर डॉक्टर है. इन जूनियर डॉक्टर के हड़ताल पर जाने का स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा असर पड़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि चिकित्सा महाविद्यालयों के अधीन आने वाले अस्पतालों का बड़ा जिम्मा इन्हीं जूनियर डॉक्टर पर है .
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बता दें कि एमपी में जूनियर डॉक्टर का हड़ताल जारी है. आज इस हड़ताल का लगातार 7वां दिन है लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है. सरकार का कहना है कि तीन वर्ष का एक साथ मानदेय दिया गया है . परिवार का इलाज भी मुफ़्त में किया जाएगा . वहीं दूसरी तरफ जूनियर डॉक्टर अभी भी अड़े हुए हैं.
इसके अलावा दो दिन पहले हाई कोर्ट ने भी आदेश जारी कर इस हड़ताल को असंवेधनिक करार दिया था.साथ ही जूनियर डॉक्टर के साथ सरकार को 24 घंटे का समय दिया कि ये हड़ताल ख़त्म नहीं हुई तो सरकार कार्यवाही कर सकती है . फ़िलहाल 50 घंटे का समय हो चुका है हाई कोर्ट के आदेश जारी हुए . हालांकि जूनियर डॉक्टर अब मुख्य मंत्री से ये मांग कर रहे है कि वो इस मामले को देखें
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हमने तीन वर्ष का एक साथ मानदेय बढ़ा दिया, ऐसा शायद कही नहीं हुआ है. कोरोना का इलाज सिर्फ़ उनका नहीं बल्कि उनके परिवार का भी निशुल्क होगा । पुलिस चौकी भी खोली जा रही है. कोर्ट ने कहा है ये हड़ताल ठीक नहीं है. वो मेरे छोटे भाई है, वो हाई कोर्ट के आदेश का पालन करें.