प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा परिवारवाद को लेकर भाजपा नेताओं को नसीहतें दे चुके हैं, इसके बावजूद वो अपने परिवार को चुनाव लड़ने से नहीं रोक रहे हैं. ऐसे में परिवार को चुनाव में उतारने वाले नेताओं को अब जनता ने आईना दिखा दिया है. मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले चरण के चुनाव परिणाम 14 और 15 जुलाई को घोषित किये जायेंगे. मतगणना हो जाने के कारण अघोषित रूप से परिणाम सामने आ गये हैं. प्रथम चरण के यह अघोषित परिणाम काफी चौंकाने वाले सामने आये हैं.
बड़े नेताओं के रिश्तेदारों की हार!
विधानसभाध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटा राहुल गौतम रीवा जिले के वार्ड से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गये हैं. वन मंत्री विजय शाह की बहन रानू शाह नरसिंहपुर से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गयी हैं. शाह का बेटा भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहा है. कांग्रेस के सेंधवा से विधायक ग्यारसीलाल रावत का बेटा और पत्नी दोनों चुनाव हो गये हैं. निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा की बेटी और बहू चुनाव हार गये हैं.
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शिवराज ने परिजनों को रखा दूर
कुछ नेताओं के रिश्तेदारों के चुनाव दूसरे और तीसरे चरण में हैं. प्रथम चरण के परिणामों से यह साफ दिखाई दे रहा है कि जनता भी परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिये तैयार नहीं है. गैरदलीय आधार पर होने वाले इस चुनाव में बड़े नेताओं की नसीहतों को न मानते हुये कुछ नेताओं ने अपने परिजनों को चुनाव में उतार दिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हालांकि अपने किसी परिजन को चुनाव में नहीं उतरने दिया है.
बीजेपी प्रवक्ता ने कही ये बात
उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद मोदी ने नेताओं से साफ कहा था कि देश को परिवारवाद से मुक्ति दिलाना है. मोदी ने नेताओं से यह भी कहा था कि उनके बच्चों के टिकट काटने का पाप उन्होंने ही किया है. इसके बावजूद भी नेताओं के मन से परिवारवाद उतर नहीं पा रहा है. भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर का कहना है कि जो कार्यकर्ता वर्षों से पार्टी में काम कर रहा है. उसका चुनाव लड़ना परिवारवाद नहीं है. पाराशर ने कहा कि कांग्रेस की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी पार्टी पर कब्जा किये रहना परिवारवाद है.
HIGHLIGHTS
- मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में परिवारवाद की बुरी गत
- बड़े नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों की हार
- बीजेपी के कई नेताओं के रिश्तेदार हारे