मध्य प्रदेश का किसान एक बार फिर से परेशान नजर आ रहा है, और इस बार उसकी परेशानी का कारण है उसे उसकी फसल का उचित मूल्य न मिलना. लहसुन के किसानों की आंखों से इन दिनों आंसू निकल रहे हैं. क्योंकि जिस उम्मीद के साथ उन्होंने लहसुन की फसल लगाई थी, उस लहसुन की कीमत ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. चाहे मौसम की मार हो या फिर यूरिया की कमी सभी परेशानियों का सामना किसानों को जरूर करना पड़ता है. शायद यही वजह है कि अब किसान अपने खेतों को बेचकर अपने रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने के लिए कोई अन्य रास्ता ढूंढ रहे हैं. एक बार फिर मध्य प्रदेश के किसानों के सिर पर चिंता की लकीरें देखने को मिल रही है.
मध्य प्रदेश में इस बार लहसुन के किसानों को उनके द्वारा दिन-रात देखकर मेहनत से उगाई गई फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसानों ने लहसुन को इस उम्मीद के साथ लगाया था कि उन्हें फसल का उचित मूल्य मिल जाएगा लेकिन बाजार में किसानों को जिस मूल्य में लहसुन बेचना पड़ रहा है उससे अच्छा तो वह फ्री में ही लोगों को दे रहे हैं. दरअसल किसानों को एक कुंटल लहसुन लगाने में करीब 5000 का खर्च आता है. लेकिन अब यही एक कुंटल लहसुन 200 से ₹300 कुंटल में मंडी में बिक रहा है. जिससे किसान उदास नजर आ रहा है.
सब्जी मंडी में लगा है लहसुन का ढेर
भोपाल की नवबहार सब्जी मंडी में भोपाल के आसपास और दूसरे जिलों से भी सब्जियां आती है. लेकिन वर्तमान में सब्जी मंडी में दूर-दूर तक लहसुन से भरे बोरे ही नजर आ रहे हैं. क्योंकि पैदावार ज्यादा होने और बाहर निर्यात न होने के चलते किसानों के पास सस्ते दामों में मंडी में अपने लहसुन को बेचने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
किसानों की परेशानी से व्यापारी भी चिंतित
वहीं, सब्जी मंडी के व्यापारियों की माने तो उनका भी कहना है कि कहीं ना कहीं किसान इस समय काफी परेशान है क्योंकि लहसुन की पैदावार ज्यादा हो गई है. ऐसे में किसान को जो मूल्य मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पा रहा है. इतना ही नहीं बाहर निर्यात न होने के चलते भी लहसुन के दामों में गिरावट आई है.
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कुछ प्रयासों से किसानों की समस्या का हो सकता है समाधान
लहसुन के दाम गिरने के बाद किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है, लगातार मध्य प्रदेश में अलग-अलग जगह से तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जहां पर कुछ किसान तो अपने लहसुन को नदियों में फेंक रहे हैं, तो कहीं गले में लहसुन की माला डालकर किसान प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार तक अपनी मांगों को पहुंचा रहे हैं. ऐसे में अगर सरकार कृषि उपज लहसुन का निर्यात तुरंत प्रभाव से इसे लागू कर दे, या फिर भावांतर योजना का लाभ देकर या फिर राजस्थान सरकार की तर्ज पर बाजार हस्तक्षेप योजना को लागू कर दे तो इन किसानों में थोड़ी उम्मीद की किरण जरूर जाग सकती है.
HIGHLIGHTS
- लहसुन के नहीं मिल रहे दाम
- मध्य प्रदेश के किसान बेहद परेशान
- अपनी फसलों को फेंकने को मजबूर हुए किसान