मध्य प्रदेश विधानसभा के चार दिवसीय मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई. कांग्रेस ने भाजपा की प्रदेश सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया, तो इस पर विधानसभा में जमकर शोर-शराबा हुआ. राज्य विधानसभा के 12 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र की सोमवार को शुरुआत हुई. शुरुआत में मिल्खा सिंह सहित दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दिए जाने के दौरान ही कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरु कर दिया. नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर स्तरहीन राजनीति करने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि भाजपा ही आदिवासियों की सबसे बड़ी हितैषी है.
ज्ञात हेा कि सोमवार को आदिवासी दिवस है. इस मौके पर सरकार ने एच्छिक अवकाश घोषित किया है, वहीं कांग्रेस सामान्य अवकाश घोषित किए जाने की मांग कर रही थी. सामान्य अवकाश घोषित किए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायकों का प्रतिनिधि मंडल रविवार को राज्यपाल से भी मिला था. इस सत्र में बाढ़ को लेकर हंगामा और तीखी नोंकझोंक की संभावना बनी हुई है, क्योंकि कांग्रेस लगातार सरकार पर बाढ़ पीड़ितों के लिए बेहतर इंतजाम न किए जाने के आरोप लगा रही है. वहीं सरकार बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद का दावा कर रही है. इसके चलते सत्र के आगामी दिनों में दोनों दल एक दूसरे को घेरने से नहीं चूकेंगे, ऐसी संभावनाएं बनी हुई हैं.
मानसून सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को कुल 1184 प्रश्नों की सूचना प्राप्त हुई है, जबकि ध्यानाकर्षण की 236, स्थगन प्रस्ताव की 17, शून्यकाल की 40, अशासकीय संकल्प की 14 एवं 139 अविलंवनीय लोक महत्व की चर्चा की आठ, याचिकाओं की 15 तथा शासकीय विधेयकों की तीन तथा लंबित विधेयकों की दो सूचनाएं प्राप्त हुई हैं. कोरोना महामारी केा लेकर विधानसभा परिसर में बगैर मास्क और बगैर वक्सीन वालों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. साथ ही कोरोना गाइड लाइन के पालन के सभी केा निर्देश दिए गए हैं. एक स्थान पर ज्यादा लोगों के इकटठा न होने की बात भी विधानसभाध्यक्ष गिरीश गौतम की ओर से कही गई है.
HIGHLIGHTS
- बीजेपी पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप
- सत्ता पक्ष ने भी किया तीखा पलटवार
- चार दिन के सत्र में और हंगामे का अंदेशा