मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अवैध कॉलोनियों के कॉलोनी आईसर के खिलाफ अब नगर निगम एफआईआर दर्ज कराने जा रहा है. इसके पहले भी कई कॉलोनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जा चुकी है. इसके बावजूद भू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह प्रशासन को समय-समय पर चुनौती दे रहे हैं. अब नगर निगम भोपाल ने शहर के आउटर इलाकों में बनने वाली और बन चुकी नई अवैध कॉलोनियों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. भोपाल नगर निगम कमिश्नर की माने तो लगातार मिल रही शिकायतों के बाद पहले फेज में मार्च के महीने में कई कॉलोनी नाइजर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई थी.
और पढ़ें: एमपी में दुष्कर्मियों को पैरोल पर छोड़ने की चर्चा पर कांग्रेस हमलावर
वहीं अब दूसरे फेज में भी बिना टीएनसीपी, बिना नगर निगम लाइसेंस, और बिना विकास अनुमति, के खेतों को काटकर बिल्डिंग के प्लॉट बेचने वाले भू माफियाओं और भूमि स्वामी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर कारवाई की जा रही है.
कुछ दिनों पहले भी इन नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम ने ऐसी ही अवैध कॉलोनी को क्षतिग्रस्त किया था. अब एक बार फिर से ऐसे ही भू माफियाओं और भू स्वामियों के खिलाफ नगर निगम कार्रवाई करने जा रहा है.
4000 आवासीय कॉलोनियां संकट में
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा पूर्ववर्ती सरकार के अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने संबंधी आदेश को अमान्य किए जाने पर लगभग 4,000 हजार कॉलोनियों पर संकट गहरा गया है. उच्च न्यायालय के इस फैसले से लगभग चार लाख निवासियों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है. राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने राज्य की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया अपनाई थी. इसके लिए सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले नगर पालिका निगम कॉलोनाइजर रजिस्ट्रीकरण, निबर्ंधन एवं शर्त नियम 1998 के तहत धारा 15ए को अस्तित्व में लाया गया था. इसके खिलाफ ग्वालियर के अधिवक्ता उमेश बोहरे ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ में याचिका दायर की थी.
बोहरे के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय यादव व न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने 25 अप्रैल को सुरक्षित रखा था, जिसे सोमवार को जारी किया गया. इस फैसले में राज्य सरकार द्वारा धारा 15ए को शून्य कर दिया है, जिससे वैध घोषित की गई आवासीय कॉलोनियां अवैध हो गई हैं.