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एमपी: मंत्रियों के विभाग वितरण से किसी के 'प्रभाव' का संकेत रोकने की कोशिश

मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार (MP Cabinet) की गुत्थी तो सुलझ गई है, मगर विभाग वितरण का मसला अब भी उलझा हुआ है. इसके लिए फिर दिल्ली में मंथन जारी है. बीजेपी विभाग वितरण के साथ संतुलन बनाने की कोशिश में है, ताकि किसी नेता के प्रभाव का संकेत न जाए.

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Vineeta Mandal
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Shivraj cabinet

Shivraj cabinet ( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार (MP Cabinet) की गुत्थी तो सुलझ गई है, मगर विभाग वितरण का मसला अब भी उलझा हुआ है. इसके लिए फिर दिल्ली में मंथन जारी है. बीजेपी विभाग वितरण के साथ संतुलन बनाने की कोशिश में है, ताकि किसी नेता के प्रभाव का संकेत न जाए.

राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के दो विस्तार हो चुके हैं और मुख्यमंत्री के अलावा कुल 33 मंत्री शपथ ले चुके हैं. इनमें 25 कैबिनेट हैं तो आठ राज्यमंत्री हैं. इनमें से सिर्फ पांच मंत्रियों के पास ही इस समय विभाग है.

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राज्य में चार दिन पहले जिन 28 मंत्रियों ने शपथ ली है, उनके विभाग वितरण की कोशिश जारी है. विभाग वितरण के मसले को लेकर शिवराज सिंह चौहान दो दिनों से दिल्ली में हैं और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से इस मसले पर चर्चा भी हो चुकी है. चौहान के सोमवार को दोपहर बाद भोपाल लौटने की संभावना थी, मगर अब देर रात तक लौटने वाले हैं. इसे भी मंत्रियों के विभाग वितरण में आ रही परेशानी से जोड़कर देखा जा रहा है.

पार्टी के सूत्रों का कहना है मंत्रियों के विभाग वितरण को लेकर विभिन्न फार्मूला पर विचार चल रहा है. जो वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें एक-एक महत्वपूर्ण विभाग के साथ सामान्य विभाग दिया जाए या सभी को एक-एक विभागीय दिया जाए. कुछ वरिष्ठ मंत्री एक से ज्यादा विभाग मांग रहे हैं. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने समर्थकों को कुछ महत्वपूर्ण विभाग देने की मांग पर अड़े हुए हैं और इसी के चलते विभाग वितरण में देरी हो रही है.

राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि विभाग वितरण मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और इसको किसी तरह की खींचतान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. बीजेपी की परंपरा है कि आपस में चर्चा करने के बाद विभागों का वितरण होता है, यह किसी एक परिवार का दल नहीं है और उसी परंपरा के तहत शिवराज सिंह चौहान विचार-विमर्श कर रहे हैं.

सूत्रों का कहना है कि सिंधिया की ओर से ग्रामीण विकास, पंचायत, महिला बाल विकास, सिंचाई, गृह, परिवहन, जनसंपर्क, खाद्य आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभागों को मांगा गया है. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने वाले राज्य के वरिष्ठ नेताओं, जो केंद्रीय मंत्री भी हैं, उनमें सिर्फ ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ही हैं, जिनका एक समर्थक भारत सिंह कुशवाह ही मंत्री बन पाए हैं. इसके अलावा प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते व थावर चंद्र गहलोत का कोई भी समर्थक विधायक मंत्रिमंडल में स्थान नहीं पा सका है.

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ताजा हालात पर कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री पी.सी. शर्मा ने तंज कसा है और कहा है कि पहले मंत्रिमंडल बनने में देरी हुई और अब विभाग वितरण में दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने समर्पण कर दिया है.

राजनीतिक विश्लेशक साजी थॉमस का कहना है कि मंत्रिमंडल के विभाग वितरण में आवश्यक है और बीजेपी समन्वय बनाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों को पर्याप्त जगह मिल गई है. हां, इतना तय है कि कई वरिष्ठ नेताओं को कमजोर विभाग मिलते हैं तो असंतोष पनप सकता है, इसीलिए बीजेपी और मुख्यमंत्री संभलकर कदम बढ़ा रहे हैं.

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