भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों परिवारवाद की जमकर चर्चा हो रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगरीय निकाय चुनाव से ही परिवारवाद से दूर रहने की शुरुआत कर दी है. प्रदेश के नगरीय निकाय चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चचेरे भाई सुरजीत सिंह चौहान और पत्नी की बहन रेखा सिंह टिकट की दावेदार थीं. सुरजीत भोपाल के वार्ड 46 या 57 से टिकट चाह रहे थे. सुरजीत पहले भी पार्षद रहे हैं. नगर निगम परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं.
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रेखा सिंह मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह चौहान की बड़ी बहन हैं. रेखा जबलपुर के एक वार्ड से पार्षद रही हैं. इस बार भी वे सुभाष चंद्र बनर्जी वार्ड से दावेदारी कर रही थीं. चौहान ने इस मामले में निर्णय जबलपुर की जिला कोर कमेटी पर छोड़ दिया. चौहान ने इन दोनों के ही टिकट के लिए सिफारिश नहीं की, जिसके कारण इन दोनों को भाजपा संगठन ने टिकट नहीं दिए. चौहान ने इन दोनों के टिकट के लिए किसी नेता को न बोलकर साफ कर दिया कि आने वाले विधानसभा चुनावों में भी वे परिवारवाद नहीं चलने देंगे.
भोपाल की महापौर की सीट इस बार ओबीसी महिला के लिए रिजर्व थी. भाजपा में यह चर्चा थी कि इस सीट से सीएम की पत्नी साधना सिंह चौहान सबसे अच्छी उम्मीदवार हो सकती हैं, लेकिन सीएम ने अपनी पत्नी के नाम को लेकर चर्चा भी नहीं होने दी.
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भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की परिवारवाद से दूर रहने की हिदायत है. अनेक नेता इससे दुखी हैं. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपनी भोपाल यात्रा के दौरान भी साफ कह गए थे कि पार्टी में परिवारवाद नहीं चलेगा. इसके बावजूद कुछ नेताओं ने जिद करके अपनी पत्नियों को टिकट दिलवा लिया. कुछ नेताओं ने दलगत आधार नहीं हो रहे पंचायत चुनावों में अपने परिजनों केा उतार दिया है. चौहान ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों दोनों में ही अपने किसी परिजन को इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरने दिया.