नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाई गई मादा चीता साशा की मौत हो गई. नामीबिया से पिछले साल कूनो नेशनल पार्क में लाए गए आठ चीतों में से एक साशा की सोमवार को मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक, साशा किडनी की बीमारी से जूझ रही थीं भारत लाए जाने से पहले से ही साशा बीमार थीं. 23 जनवरी को साशा में थकान और कमजोरी के लक्षण दिख रहे थे, जिसके बाद उसे इलाज के लिए क्वारंटीन बाड़े में भेजा गया था, लेकिन सोमवार को उसकी मौत हो गई.
बता दें कि साशा की उम्र तीन साल थी. पिछले साल 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. 70 साल बाद पहला मौका था, जब विदेशी चीते को भारतीय धरती पर लाया गया था. इस जत्थे में आठ चीते थे, जिन्हें मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. साशा के साथ सात और चीते भारत लाए गए थे. शुरुआती दिनों में सभी चीतों को क्वारंटाइन में रखा गया था. उन्हें नवंबर में बड़े शिकार बाड़ों में छोड़ा गया. उसके बाद से चीतों ने खुद शिकार किया और अपने हिसाब से खुद को रहने के लिए ढाल लिया था. इसके बाद इसी साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का दूसरा जत्था भारत लाया गया है. इन 12 चीतों में सात नर और 5 मादा चीता शामिल थीं. फिलहाल ये सभी चीतें कूनो नेशनल पार्क के क्वारंटाइन बाड़े में हैं. कूनो नेशनल पार्क में छोड़ी गई थी.
कूनो पार्क में सभी चीते स्वस्थ
कूनो नेशनल पार्क में अब 19 चीतें हैं. पिछले साल 17 सितंबर को आठ चीतों को पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर छोड़ा था. शुरुआती समय में इन चीतों को छोटे क्वारंटाइन बाड़ों में रखा गया था. वहां उन्हें बड़े जानवरों का मीट खिलाया गया. फिर एक-एक कर इन चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया, जहां उनके खाने के लिए चीतल जैसे जानवरों को छोड़ा गया था. नामीबिया से लाए गए सात अन्य चीता स्वस्थ हैं. इनमें तीन नर और एक मादा खुले जंगल में विचरन कर रहे हैं. वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीता वर्तमान में क्वारेंटाइन बाड़ों में हैं और पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय हैं.
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