विधानसभा चुनाव में नॉमिनेशन की डेट जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, टिकट की उम्मीद रखने वाले नेताओं का टेंशन भी बढ़ता जा रहा है. न दिन और न ही रात ठीक से कट रही है. दावेदारों का ब्लड प्रेशर बढ़ता जा रहा है. हालांकि कुछ भी पूछने पर दावेदारों का यही कहना है कि फैसला तो पार्टी को करना है. पहले सितंबर का अंतिम सप्ताह, फिर अक्टूबर का पहला सप्ताह और अब अक्टूबर खत्म होने को आया, लेकिन देश की दो बड़ी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने किसी भी उम्मीदवार को अब तक हरी झंडी नहीं दी है.
ग्वालियर की पूर्व विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुके मुन्नालाल गोयल को दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. पिछला चुनाव 1200 वोटों से हार गए थे, इसलिए इस बार उन्हें उम्मीद भी ज्यादा है. मुन्नालाल कहते हैं कि चुनाव नजदीक आते हैं तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि लगातार 5 साल तक वे जनता के बीच में रहे हैं और इसी तरह जिंदगी के 25 से ज्यादा साल गुजार दिए.
वो कहते हैं कि हम तो संघर्ष के लोग हैं. हमारी राजनीति केवल चुनाव को देखकर नहीं होती. 2008 में चुनाव हारा, लेकिन लड़ाई जारी रही. 2013 में भी मैंने संघर्ष जारी रखा. पार्टी टिकट देगी तो लड़ूंगा और नहीं देगी तो चुनाव लड़ाउंगा.
कभी माधव राव सिंधिया के खास रहे कांग्रेस के नेता बालेंद्र शुक्ला अब बीजेपी के नेता हैं. पहले कांग्रेस में मंत्री रहे फिर बीजेपी में आ गए. वे कहते हैं कि ग्वालियर जिले की भितरवार सीट से विधायक रहे हैं. पहले वह गिर्द हुआ करती थी. उसके बाद उस सीट पर चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला. हालांकि वह खुद कुछ नहीं बोलते लेकिन उनका कहना है कि भितरवार सीट पर अब बीजेपी को जीतना चाहिए. उनके मन में भी यही है की पार्टी उन्हें उम्मीदवार बना ले तो शायद चुनाव जीत हुई जाएं लेकिन टिकट का टेंशन बढ़ता ही जा रहा है.
पिछली बार ग्वालियर पूर्व से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े आनंद शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस से गठबंधन हो जाता तो उनकी उम्मीदवारी तिथि लेकिन अब पार्टी जैसा फैसला करें उसे मानेंगे. आनंद शर्मा यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि गठबंधन होता तो जीत की उम्मीद भी थी लेकिन अब नहीं हुआ तो बीएसपी जैसा भी उम्मीदवार उतारे वे उसके साथ खड़े हैं. हालांकि चुनावी समय मैं चिंता और टेंशन तो सभी को बढ़ जाती है और इसीलिए लोग अपनी दिनचर्या भी बदल लेते हैं.
फिलहाल तो अभी 4 दिन तक बीजेपी और कांग्रेस शायद ही कोई लिस्ट जारी करे. ऐसे में टिकट की उम्मीद लगाए बैठे नेता दिल्ली से लेकर भोपाल में होने वाली मीटिंग पर नजर रखे हुए हैं. कुछ नेताओं ने तो अपनी पूरी चुनावी तैयारी कर ली है और कुछ यह भी मानते हैं कि फॉर्म भरने की चंद मिनट पहले भी टिकट कट जाता है. इसका टेंशन नेताओं को लगातार बना हुआ है.
Source : News Nation Bureau