मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूल के शिक्षकों के लिये स्थायी तबादला नीति लागू कर दी गयी है. इस तबादला नीति की खास बात है कि अब शिक्षक और प्राचार्य मंत्रियों के स्टाफ में पदस्थ नहीं हो सकेंगे. मंत्रियों और विधायकों के निजी स्टाफ में कई शिक्षकों ने पदस्थापनायें करवा रखी हैं. इस नीति के लागू होने के बाद इन लोगों केा वापस शिक्षण कार्य में लगाया जायेगा. मंगलवार को प्रदेश कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी है. यही नहीं 10 सालों से शहर में सेवा दे रहे शिक्षकों को अब गांवों सेवाएं देनी होंगी. साथ ही आदिवासी क्षेत्र में सेवा दे रहे शिक्षकों को प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान किया गया है. सरकार ने कैबिनेट में लिए गए निर्णय को तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश जारी कर दिये हैं.
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प्रदेश में अभी तक हर साल शिक्षकों की तबादला नीति लायी जाती थी. लेकिन अब स्थायी नीति बना दी गयी है. कैबिनेट की बैठक में तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने की भी माँग मंत्रियों ने की. मंत्रियों के कहा कि नगरीय निकायों और पंचायतों के चुनावों के कारण इस साल तबादलों पर से रोक नहीं हटायी गयी. मंत्रियों ने कहा कि अब तबादलों पर से रोक हटाना चाहिये. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रियों की बातों से बहुत अधिक सहमत नहीं दिखायी दिये.
अन्य निर्णय
कैबिनेट के अन्य निर्णयों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत हॉक फोर्स के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही अन्य पुलिस अधिकारियों को लगभग 19 हजार की राशि अतिरिक्त भत्ते के रूप में मिलेगी. वहीं पर्यटन और रोजगार केा बढ़ावा देने के लिये होम स्टे योजना को सब्सिडी सरकार देगी. इसके अलावा जनजातियों के कर्मचारियों केा राजभवन में ट्रायबल प्रकोष्ट में पदस्थ करने केा स्वीकृति भी दे गई है. वहीं 52 जिलों के 100 गांवों के 26 हजार किसानों को देशी गाय पालने के लिये 900 रूप्ये प्रति गाय अनुदान दिया जायेगा.
HIGHLIGHTS
- एमपी में अब मंत्रियों के स्टाफ में पदस्थ नहीं होंगे शिक्षक
- कैबिनेट ने तबादलों पर से प्रतिबंध हटाने की उठी मांग
Source : Khushboo