मध्य प्रदेश के बैतूल में इस साल में अब तक महज 7 इंच बारिश दर्ज की गई है. इससे हर तरफ चिंता और बेचैनी का आलम है. बारिश की बेरुखी ने खासतौर पर किसानों के माथे पर बल ला दिया है. यही वजह है कि बारिश ना होने से परेशान लोग अब अपने-अपने तरीकों से इंद्रदेव को मनाने में लगे हैं. जिले के असाडी में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां बारिश के लिए आदिवासी ग्रामीणों ने इंद्र की प्रतिमा को मिट्टी लपेट दी है और फिर नग्न बच्चों से तरह-तरह के टोटके करवाए. आदिवासियों को उम्मीद है कि सांस लेने में दिक्कत होने पर इंद्र पानी बरसा देंगे.
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गांव के पुजारी माली सिंह का कहना है कि पानी नहीं गिरने से फसलें सूख जाएंगी तो उनके परिवार का पेट कैसे भरेगा और पानी के बिना कैसे रहेंगे ? इसलिए इंद्रदेव को मनाने के लिए वे पुरखों के बताए यही टोटके को अपना रहे हैं. उनकी मान्यता के अनुसार कुंआरे और नाबालिग बच्चे मिटटी लाते और भगवान को लपेट देते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़देव नाम से प्रसिद्ध इस स्थान पर आसपास के कई जिलों के आदिवासी आते हैं और बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं. इसके अलावा वो अपने तरीके से मान्यता भी करते हैं, जिसमें भगवान को मिट्टी में लपेट देते हैं. ग्रामीणों के अनुसार, यहां मान्यता है कि जब भस्मासुर भगवान शंकर के पीछे भागा था तो भगवान शंकर यहीं से निकले थे, इसलिये इस स्थान का महत्व है. इंद्र देव की मूर्ति संभवत है बैतूल जिले में ही है. बाकी आसपास के कई जिलों में नहीं है.
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वैसे तो बारिश के लिए लोग प्रार्थना करते हैं. ऐसे में इस अनोखी मान्यता से लोगों को आश्चर्य भले ही हो रहा होगा, मगर आदिवासियों को भरोसा है कि ऐसा करने से बारिश होती है. जाहिर है बारिश के लिए टोटके अपना रहे लोग अगर पर्यावरण को बिगड़ने से बचाते होते तो आज ये हालात नहीं बनते.
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