मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में एक चौकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक निजी अस्पताल में प्रसूता के साथ बदसलूकी की गई. प्रसूता के परिजनों का आरोप है कि हॉस्पिटल स्टाफ ने प्रसूता को थप्पड़ मारा. इतना ही नहीं वहां मौजूद स्टाफ नर्स ने कहा कि इतना क्यों खा लिया कि बच्चा 4.5 किलो ग्राम का हो गया.
नर्सों की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई. परिजनों ने इस मामले में पुलिस से शिकायत की है. पुलिस ने हॉस्पिटल स्टाफ पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की बात कही है. न्यूज 18 की खबर के मुताबिक सन्मति नजर की रहने वाली नेहा सारड़ा की डिलीवरी होने वाली थी.
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बृहस्पतिवार की सुबह परिजन उसे 10:30 बजे राजमोहल्ला के निजी अस्पताल ले गए. अस्पताल में काफी देर तक कोई स्टाफ नहीं आया. आरोप है कि करीब 2 घंटे बाद प्रसूता को एक के बाद एक कई इंजेक्शन दिए गए. लेकिन जब दर्द कम नहीं हुआ तो स्टाफ उसे डिलीवरी के लिए ले गया.
परिजनों के मुताबिक वह पिछले 9 महीने से डॉक्टर वंदना तिवारी से इलाज करा रहे थे. जब परिजनों ने डॉक्टर वंदना को बुलाकर सिजेरियन डिलीवरी करने को कहा तो नर्सों ने प्रसूता को चांटे मारे और कहा कि इतना क्यों खाया कि बच्चा साढ़े चार किलो का हो गया.
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डिलीवरी के बाद नर्सों ने प्रसूता के पति को बताया कि बच्चे की धड़कन तो चल रही है लेकिन वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. इसके बाद परिजनों ने दूसरे अस्पताल का रुख किया. जहां डॉ जफर पठान ने बताया कि डिलीवरी के समय लापरवाही बरती गई है. बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया. लेकिन शुक्रवार को उसकी मौत हो गई.
इस मामले में डॉक्टर वंदना का कहना है कि उन्हें मारपीट की जानकारी नहीं है. प्रसूता के परिजनों की सहमति से नॉर्मल डिलीवरी का निर्णय लिया गया था. सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल थी. रात के 11 बजे मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. शिशु रोग विशेषज्ञ की सलाह पर बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया था.
HIGHLIGHTS
- डिलीवरी में दिक्कत आने पर नर्सों ने मारे थप्पड़
- दूसरे अस्पताल में बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा, लेकिन मौत हो गई
- डॉक्टर ने कहा कि थप्पड़ मारने की जानकारी नहीं है
Source : News Nation Bureau