सावन के तीसरे सोमवार के साथ आज नागपंचमी भी है और ये संयोग 20 साल बाद आया है. जब नाग पंचमी सावन मास के सोमवार को पड़ रहा है. यह काफी शुभ माना गया है. ऐसा इसलिए कि सोमवार भगवान शंकर को समर्पित दिन है और नागों को भी उनका ही आभूषण माना गया है. इससे पहले 1999 में ऐसा मौका आया था, जब सावन का सोमवार और नागपंचमी एक साथ पड़े थे. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में नागपंचमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है.
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महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरा अनुसार रात्रि 12 बजे खोल दिए गए. भगवान नागचंद्रेश्वर के पूजन के बाद मंदिर में रात से ही श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. दर्शन का यह सिलसिला लगातार 24 घंटे तक चलता रहेगा. नागचंद्रेश्वर के साथ ही बाबा महाकाल के दर्शन को भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन की महत्ता है. यहां महाकाल मंदिर के शीर्ष पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में नाग पर विराजत शिव पार्वती की अति दुर्लभ मूर्ति है. मान्यता है कि मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से शिव पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हैं. साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती है. नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने की भी परंपरा है, इसलिए श्रद्धालु यहां नाग की प्रतिमा पर दूध चढ़ा रहे हैं. उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मन्दिर में स्थित मूर्ति 11वीं शताब्दी के परमार काल की है. नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा में शेषनाग की सैय्या पर भगवान शिव तथा पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिक भी विराजित हैं. बताया जाता है की यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी.
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भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए प्रशासन ने माकूल इंतजाम किए हैं. सुरक्षा के साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेरिकैट लगाए गए हैं, ताकि दर्शन आसानी से हो सकें. भगवान महाकाल के दरबार में स्थित नागचंद्रेश्वर का मंदिर वर्ष में केवल एक बार ही खुलता है. नागपंचमी पर खुलने वाले इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले से ही कतार में लग जाते हैं.
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