एक वर्ष पूरा, आगे भी पौधरोपण जारी रखेंगे CM शिवराज सिंह चौहान

पौधरोपण की ज़रूरत और उसके महत्त्व को समझते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नर्मदा जन्मोत्सव के अवसर पर अमरकंटक में ऐतिहासिक संकल्प लिया कि वे एक साल तक लगातार एवं रोज़ाना कम से कम एक पौधा ज़रूर रोपेंगे.

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Deepak Pandey
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान( Photo Credit : फाइल फोटो)

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पौधरोपण की ज़रूरत और उसके महत्त्व को समझते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नर्मदा जन्मोत्सव के अवसर पर अमरकंटक में ऐतिहासिक संकल्प लिया कि वे एक साल तक लगातार एवं रोज़ाना कम से कम एक पौधा ज़रूर रोपेंगे. बीते एक साल में अपनी व्यस्ततम दिनचर्या या दौरों के दौरान भी उन्होंने इस संकल्प का पालन करते हुए हर रोज़ एक पौधा ज़रूर लगाया. यहां तक कि उन्होंने गुजरात, बंगाल और केरल के चुनावी दौरे में भी प्रतिदिन एक पौधा लगाने का क्रम जारी रखा और अब जब इस महायज्ञ को एक साल पूरा हो रहा है, तो ये अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले चुका है. पूरे प्रदेश की जनता अपने जननायक का अनुसरण करते हुए पौधरोपण को अपने जीवन के ध्येय में शामिल कर चुकी है. 

इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यप्रदेश की जनता के लिए अंकुर अभियान की शुरुआत भी की. मई 2021 में शुरू की गई इस योजना के ज़रिये लोगों को पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना मुख्य मकसद था. वायुदूत ऐप के ज़रिये पंजीकरण के बाद उन्हें पौधा लगाते समय अपनी एक तस्वीर एप्लीकेशन पर अपलोड करनी होती है कि वे पौधे की देखभाल किस तरह से करते हैं. उसकी सारी तस्वीर उन्हें लगभग 30 दिनों तक अपलोड करते जाना होता है.

मुख्यमंत्री की ओर से प्रत्येक जिले के चुने हुए कुछ प्रतियोगियों को विजेता घोषित किया जाता है और उन्हें सम्मानित किया जाता है. इस अभियान की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बड़ी संख्या में प्रदेश के नागरिक अंकुर मित्र बनकर प्रदेश भर में पौधे लगा रहे हैं.

पौधरोपण अभियान को जन आंदोलन बनाने का ही नतीजा है कि वन क्षेत्र के मामले में मध्य प्रदेश, देश भर में पहले स्थान पर है. हाल ही में जारी हुए फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट 2021 में बताया गया है कि क्षेत्रफल के हिसाब से मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र पूरे प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.14 प्रतिशत है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों का नंबर आता है. इस वन क्षेत्र को बरकरार रखने का श्रेय शिवराज सरकार को जाता है. लोगों में जागरूकता लाने के लिए खुद उन्होंने अपने संकल्प को निभाते हुए जिस तरह एक मिसाल कायम की है, उससे लोगों को प्रेरणा मिली और जन भागीदारी बढ़ती चली गई.

उन्होंने प्रदेश के लोगों को इस जन आंदोलन से जोड़ने के नायाब तरीके भी निकाले हैं, जिन्हें पूरे भारत में लागू किया जा सकता है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसी नगर या ग्राम का जन्म-दिवस मनाने के लिए पौधरोपण करना, पर्यावरण और विकास हितैषी विचार है. इस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाने की प्रथा शुरू की गई. प्रदेश में इसकी शुरुआत सीहोर जिले के ग्राम जैत से हुई. 

इसी साल 8 फरवरी को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अपने पैतृक ग्राम जैत में नागरिकों के साथ पौधे लगाए. उन्होंने कहा कि अन्य स्थानों पर भी भविष्य में ऐसे कार्यक्रम होंगे, जो स्थानीय नागरिकों को अपने ग्राम और नगर की प्रगति के लिए सदैव योगदान देने का संकल्प लेने का अवसर भी बनेंगे. उनका यही नया विचार हरित क्रांति 2.0 बनकर सामने आएगा.

मुख्यमंत्री चौहान बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि स्वयं एवं परिजन के जन्म-दिवस, परिवार के दिवंगत सदस्यों की जयंती और पुण्य-तिथि पर पौधा लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा सगाई और विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर भी पौधे लगाने का कार्य किया जाना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति पौधे लगाने के साथ उसकी देखभाल का जिम्मा भी संभाले. वो मानते हैं कि हरीतिमा बढ़ाने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, क्योंकि वो इस विश्वव्यापी समस्या को भली-भांति समझते हैं, इसीलिए इस मुहिम को जन आंदोलन बनाकर भारत को विश्व-पटल पर अलग पहचान देने की उनकी निरंतर कोशिश जारी है.

Source : News Nation Bureau

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