पाकिस्तान से भारत लाई गीता ने इंदौर के मूक-बधिर संगठन के आश्रम को छोड़ दिया है. सोमवार को उसने अपनी मर्जी से इस आश्रम को छोड़ा हैं. विजय नगर स्थित आनंद सर्विस सोसाइटी के साथ रहने आ गई. सामाजिक न्याय विभाग के कर्मचारियों ने उसे अपनी निगरानी में विजय नगर में सोसाइटी के हॉस्टल में छोड़ा. बता दें कि भारत की बेटी गीता के पाकिस्तान में होने की बात सामने आने पर सालों पहले तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कोशिशों के चलते उसे अपने देश लाया जा सका था.
भारत लाने के बाद गीता को इंदौर के मूक बधिर संस्थान में रखा गया था, उसे यहां तब तक के लिए लाया गया था, जब तक उसके माता-पिता नहीं मिल जाते. बीते चार साल में हुई तमाम कोशिशें असफल रही हैं. यही कारण है कि गीता 26 अक्टूबर, 2015 से इंदौर में ही है.
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मूक-बधिर संगठन के अध्यक्ष मुरली धामानी ने बताया कि गीता करीब पांच साल से हमारे साथ है. शासन न तो उसके माता-पिता को तलाश पाया, न ही उसकी शादी हो रही थी. हमारे यहां और भी मूक-बधिर बच्चियां हैं जो 18-20 साल की हैं. गीता की आयु 29 साल हो चुकी है.
वह इन बच्चियों के साथ एडजस्ट भी नहीं हो पा रही थी. उसने खुद ही यहां से जाने की इच्छा जताई थी, तो हम भी कब तक रखते. शासन की ओर से उसका खर्च भी केवल एक हजार रुपये महीना मिल रहा था, जबकि गीता पर चार-पांच हजार रुपये महीना खर्च करना पड़ रहा था. गीता की इच्छा को देखते हुए मैंने सामाजिक न्याय विभाग को लिखा. गीता की इच्छा के अनुसार हमने उसे बिदाई दी. विभाग के अधिकारियों की निगरानी में उसका सारा सामान और नकदी भी दे दी है.
Source : News Nation Bureau