मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार भाजपा सरकार को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के मामले में घेरने की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग की उप सचिव मनीषा सेठिया ने सागर समेत 22 जिलों से पिछले पांच साल में स्वेच्छानुदान के नाम पर बांटी गई राशि का ब्योरा मांगा है. सरकार ने संबंधित जिलों के जवाबदेह अधिकारियों से पूछा है कि उनके जिलों के लिए वर्ष 2011-12 से 2016-17 में कितनी राशि मंजूर हुई और कितनी वितरित हुई है.
प्राशासनिक सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार को संदेह है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अनुदान राशि का उपयोग अपनी सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए किया था. इसमें उन लोगों को भी लाब दिया गया जो नियमों के अनुसार पात्र नहीं थे. बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जुलाई 2018 में केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के लान्च से पहले स्वेच्छानुदान मद में ढेर सारे केस मंजूर किए थे.
आचार संहिता से पहले बांटे गए 50 करोड़ रुपए
सूत्रों के मुताबिक पूरे प्रदेश में बीते वित्त वर्ष में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान का भरपूर इस्तेमाल किया गया था. उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2018-19 में विधानसभा चुनाव-2018 की आदर्श आचार संहिता लगने से पहले ही सरकार ने 50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बांटी थी. इससे पहले 2017-18 में 149 करोड़ रुपए और 2016-17 में 78 करोड़ रुपए बांटे थे.
कार्यकर्ताओं को दिया लाभ
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के मामले में राज्य सरकार के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंदसिंह राजपूत का कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए. क्योंकि भाजपा सरकार ने चेहरे देख-देख कर लोगों को लाभ दिया है. सरकारी खजाने से कार्यकर्ताओं को लाभ दिया गया है. वाणिज्य कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि कांग्रेस की सरकार सरकारी खजाने का अगला-पिछला हिसाब लेगी. आखिर लोगों को पता होना चाहिए कि कैसे सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया.
इन जिलों से मांगी गई है योजना की जानकारी
टीकमगढ़, श्योपुर, शहडोल, शाजापुर, विदिशा, सागर, सिंगरौली, सिवनी, सीहोर, रीवा, आगर-मालवा, रतलाम, पन्ना, इंदौर, जबलपुर, खंडवा, होशंगाबाद, दमोह, छतरपुर, बालाघाट, अशोकनगर और अनूपपुर जिले से स्वेच्छानुदान की जानकारी मांगी गई है.
Source : News Nation Bureau