Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में 1 जून से लगातार हो रही बारिश ने राज्य के सिंचाई और बिजली उत्पादन की सारी चिंताओं को खत्म कर दिया है. पूरे प्रदेश में नदियां उफान पर हैं और अधिकांश डैम भर चुके हैं, जिससे जल संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो गए हैं. कई डैम के गेट लगातार खोलने पड़े हैं, ताकि अतिरिक्त पानी को नियंत्रित किया जा सके. इस वर्ष की अच्छी बारिश से कृषि और ऊर्जा क्षेत्र को अत्यधिक लाभ होने की उम्मीद है.
सामान्य से अधिक बारिश, डैम हुए लबालब
आपको बता दें कि इस मानसून सीजन में मध्य प्रदेश में अब तक सामान्य से 9% अधिक वर्षा दर्ज की जा चुकी है. प्रदेश के पूर्वी हिस्से में सामान्य से 6% और पश्चिमी हिस्से में 12% अधिक बारिश हुई है. औसतन 1 जून से अब तक 840 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस अवधि में 917 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. इससे जल संग्रहण और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो गया है, जिससे किसानों को राहत मिली है और बिजली उत्पादन के लिए भी पर्याप्त जल संसाधन जुटा लिया गया है.
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डैमों के गेट खोलने पड़े
वहीं आपको बता दें कि लगातार हो रही भारी बारिश के कारण प्रदेश के कई प्रमुख डैम जैसे सतपुड़ा, कोलार, केरवा, बारगी, कलियासोत, गंभीर, इंदिरा सागर, तवा, ओंकारेश्वर, राजघाट, संजय सागर और महारानी लक्ष्मी बाई बांध पूरी तरह से भर चुके हैं. डैम ओवरफ्लो होने की स्थिति में सुरक्षा उपायों के तहत कई डैम के गेट भी खोले जा रहे हैं, जिससे अतिरिक्त पानी को बाहर निकाला जा सके. यह स्थिति राज्य के जल संसाधनों की प्रचुरता को दर्शाती है और भविष्य में सिंचाई और बिजली उत्पादन की चुनौतियों को कम करती है.
कुछ जिलों में कम साल, रीवा सबसे प्रभावित
हालांकि, राज्य के अधिकांश जिलों में सामान्य या उससे अधिक वर्षा दर्ज की गई है, लेकिन कुछ जिलों में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है. इनमें सबसे कम वर्षा रीवा में दर्ज की गई है, जहां सामान्य से 30% कम बारिश हुई है. इसके अलावा, बालाघाट में 10% कम, दमोह में 11%, पन्ना में 3%, उमरिया में 2%, दतिया में 15%, नर्मदापुरम में 5%, उज्जैन में 13%, इंदौर में 8% और झाबुआ में 9% कम वर्षा दर्ज की गई है. हालांकि, शेष सभी जिलों में सामान्य या उससे अधिक बारिश हुई है, जिससे राज्य में जल संसाधनों की स्थिति संतोषजनक है.
कृषि और ऊर्जा क्षेत्र में उछाल की उम्मीद
इसके अलावा आपको बता दें कि भारी बारिश और डैमों के भरने से मध्य प्रदेश में कृषि और बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है. किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा और बिजली उत्पादन में वृद्धि संभव होगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचेगा.