यूँ तो आज के दौर में आपके कई संत , गुरु और बाबा देखे होंगे. जो बड़ी-बड़ी गाड़ियों में आते जाते है. कथा के लिए मुँह माँगी क़ीमत वसूलते है. मगर आज हम आपको एक ऐसे संत से मिलवाने जा रहे है जो वाक़ई में एक तपस्वी है. नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए यूँ तो कई अभियान चलाए जा रहे है. कई वर्षों से ये अभियान चल रहे है. नर्मदा मिशन के संस्थापक प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरू दादा गुरू जिन्होंने 21 माह से अन्न का एक कतरा नहीं खाया. सिर्फ़ और सिर्फ़ नर्मदा जल पर ही वो अपना जीवन व्यापन कर रहे है.
विज्ञान को सौंप दिया अपना शरीर
इस बात से हर किसी को आश्चर्य होता है की आख़िर कैसे कोई 21 माह से सिर्फ़ नर्मदा जल पर जीवित रह सकता है. इस बारे में जब हमने समर्थ सद्गुरू दादा गुरू से सवाल किया तो उन्होंने कहा की विज्ञान इस बात को नहीं मानेगा मुझे पता था. इसलिए मैंने किसी से कभी कोई बहस नहीं की. सीधे अपना शरीर ही विज्ञान को सौंप दिया. श्री श्री रविशंकर ने भी लैब में टेस्ट करवाया और बाबा राम देव ने भी पतंजलि लैब में हमारे शरीर का परीक्षण किया. दोनों ने ही इस चमत्कार बताया.
जब तक समाज नर्मदा बचाने का संकल्प नहीं लेता तक तक अखंड उपवास
समर्थ सद्गुरू दादा गुरू से बातचीत में जब हमने पूछा की आपका ये उपवास कब तक रहेगा ? इसके जवाब में उन्होंने कहा की ये तो अखंड उपवास है. जब तक समाज माँ नर्मदा को बचाने के लिए नहीं जगरूक होता तब तक मैं इसी तरह अखंड उपवास पर रहूँगा . मैं बताना चाहता हूँ की नर्मदा का जल इतना अच्छा है की सिर्फ़ उसे पीकर भी हम जीवित रह सकते है.
Source : Shubham Gupta