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MP: झाबुआ में सशक्त उम्मीदवार का चयन कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

मध्यप्रदेश के झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ कांग्रेस में सशक्त उम्मीवारी को लेकर माथीपच्ची शुरू हो गई है.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।

मध्यप्रदेश के झाबुआ में विधानसभा उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ कांग्रेस में सशक्त उम्मीवारी को लेकर माथीपच्ची शुरू हो गई है. यहां से कांग्रेस के पास दावेदार कई हैं, मगर जीतने वाले उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनना आसान नहीं है.

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राज्य में कांग्रेस की सरकार को पूर्व बहुमत हासिल नहीं है. राज्य विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिसमें से कांग्रेस के 114, भाजपा के 108, बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायक हैं. एक विधानसभा क्षेत्र झाबुआ में उपचुनाव 21 अक्टूबर को होना है. कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल कर अपने विधायकों की संख्या में इजाफा करना चाहती है.

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कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की ओर से तीन प्रमुख दावेदार हैं- पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, उनके बेटे विक्रांत भूरिया और पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा. कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में बागी उम्मीदवार जेवियर मेड़ा के चलते बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. मेड़ा पूर्व में विधायक रह चुके हैं. अब वे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. लिहाजा, पार्टी इस चुनाव में किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहती.

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है, "प्रदेश के झाबुआ उपचुनाव के लिए कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है, हमारी निश्चित विजय होगी. हमारी सरकार के नौ माह के जनहितैषी कार्यो का, आदिवासी वर्ग के हित में सरकार द्वारा लिए गए ऐतिहासिक निर्णयों का व झाबुआ में किए गए विकास कार्यो का समर्थन भी कांग्रेस पार्टी को जरूर मिलेगा."

ज्ञात हो कि कांग्रेस बीते एक माह से ज्यादा समय से झाबुआ उपचुनाव की तैयारी में लगी हुई है. पार्टी के भीतर सशक्त उम्मीदवार के चयन को लेकर मंथन भी चल रहा है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की कोशिश है कि ऐसे व्यक्ति को मैदान में उतारा जाए, जिसका विरोध नहीं हो. साथ ही सभी की सहमति को भी महत्व दिया जाए. पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया अपनी दावेदारी जता रहे हैं, मगर विधानसभा चुनाव में बेटे की हार और लोकसभा में स्वयं की हार के कारण उनका दावा कुछ कमजोर पड़ रहा है.

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राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस बार झाबुआ का चुनाव पूरी ताकत के साथ सतर्कता से लड़ना चाहती है, ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. पार्टी के लिए एक-एक विधायक कीमती है, क्योंकि समर्थन देने वाले विधायक उसे आंख दिखाते रहते हैं. अगर कांग्रेस की ताकत में इजाफा होता है तो आने वाले समय में समर्थन देने वाले दबाव नहीं बना पाएंगे.

झाबुआ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. यहां से भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर जी.एस. डामोर विधायक चुने गए थे, उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल हुई. इसके चलते यहां उपचुनाव हो रहा है. इस विधानसभा क्षेत्र के लिए 23 सितंबर को अधिसूचना प्रकाशित होगी. मतदान 21 अक्टूबर को और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी.

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झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में कुल दो लाख 76 हजार 982 मतदाता हैं. इनमें एक लाख 37 हजार 882 महिला मतदाता और 1 लाख 39 हजार 97 पुरुष मतदाता हैं. पिछले विधानसभा निर्वाचन में यहां मतदान प्रतिशत 65़ 26 रहा था, जबकि लोकसभा निर्वाचन में 70.80 प्रतिशत रहा.

Source : आईएएनएस

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