मध्य प्रदेश के उज्जैन में शनिचरी अमावस्या पर कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन ( Corona Guideline ) के बावजूद घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी. प्रशासन के मना करने के बावजूद लोग घाटों पर पहुंच गए. प्रशासन लगातार मना करना रहा, लेकिन लोग नहीं माने. शनिवार को सुबह देखते ही देखते घाटों पर भीड़ जुटना शुरू हो गई और लोगों ने स्नान किया. बता दें कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसी भी श्रद्धालु को शिप्रा नदी के त्रिवेणी और राम घाट पर स्नान की इजाजत नहीं थी. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते कलेक्टर ने दो दिन पहले ही आदेश जारी कर स्नान और भीड़ इकट्ठी करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. प्रशासन एक दिन पहले तक सचेत भी दिखाई दिया. क्योंकि, इस बार दो अमावस्या होने से ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना ज्यादा थी. इसीके मद्देनजर शिप्रा नदी के राम घाट और त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
दरअसल, पुराणों में मान्यता है की शनिदेव न्याय के देवता कहे जाते हैं. शनि देव ने भगवान शिव से वर मांगा था. मुझे सूर्य से अधिक शक्तिशाली और पूज्य होने का वरदान दें. इस पर शिव जी ने कहा कि तुम नौ ग्रहों में श्रेष्ठ स्थान पाने के साथ ही सर्वोच्च न्यायाधीश और दंडाधिकारी रहोगे. साधारण मानव तो क्या देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर, गंधर्व व नाग सभी तुम्हारे नाम से भयभीत होंगे. मान्यता के अनुसार, शनिवार के दिन शनि देव शनिदेव को तेल और एक रुपये चढ़ाने से उनकी कृपा मिलती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, कश्यप मुनि के वंशज भगवान सूर्यनारायण की पत्नी स्वर्णा (छाया) की कठोर तपस्या से ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि का जन्म हुआ. माता ने शंकर जी की कठोर तपस्या की. तेज गर्मी व धूप के कारण माता के गर्भ में स्थित शनि का वर्ण काला हो गया. पर इस तप ने बालक शनि को अद्भुत और अपार शक्ति से युक्त कर दिया.
HIGHLIGHTS
- उज्जैन में कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन के बावजूद घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी
- प्रशासन के मना करने के बावजूद लोग घाटों पर पहुंच गए
- किसी भी श्रद्धालु को शिप्रा नदी के त्रिवेणी और राम घाट पर स्नान की इजाजत नहीं थी