मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की. उन्होंने राज्यपाल को राज्य के मौजूदा घटनाक्रम की जानकारी देते हुए बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री और राज्यपाल की बीच करीब एक घंटे तक चर्चा हुई. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राजभवन पहुंचे. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर बातचीत की.
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राज्यपाल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि वह फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है लेकिन 22 विधायकों को कैद करने के बाद कोई कटे कि फ्लोर टेस्ट करो यह सही नहीं है. दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल को जानकारी दी कि कांग्रेस के 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. गौरतलब है कि 16 मार्च से मध्य प्रदेश का विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है. इससे पहले बीजेपी ने इसी दिन फ्लोर टेस्ट करा कमलनाथ सरकार को बहुमत सिद्ध करने की चुनौती दी है. कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद आंकड़े कमलनाथ सरकार के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहे हैं.
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स्पीकर के हाथ में पूरा खेल
मौजूदा हालात में स्पीकर की भूमिका काफी बढ़ गई है. कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका को लेकर भी आश्वस्त है. इस्तीफा स्वीकार करने में समय लगता है तो वह कांग्रेस के पक्ष में होगा. इससे बहुमत में सरकार बनी रहेगी. कांग्रेस ने भाजपा को जवाब देने की तैयारी कर ली है. पहला कदम होगा, बेंगलुरु में रखे गए सिंधिया समर्थक विधायक जब तक पेश नहीं होते, तब तक कांग्रेस सदन में फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं जाएगी. बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष हंगामा करता है तो स्पीकर सख्त फैसले ले सकते हैं.
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कांग्रेस बेंगलुरु से विधायकों के आने पर उनके परिजन और क्षेत्र के लोगों को सामने रखेगी, ताकि वे सोचने पर मजबूर हो जाएं कि दोबारा चुनाव में जाते हैं तो क्या दिक्कत आ सकती है? कांग्रेस को लगता है कि भाजपा सिंधिया समर्थक विधायकों को सदन से गैरहाजिर रखना चाहती है. बहरहाल, अगर सिंधिया खेमे के विधायक नहीं आते हैं और इस्तीफा मान्य नहीं हुआ तो सदन की कार्रवाई चलती रहेगी.
Source : News Nation Bureau