मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर अभी संशय बरकरार है. अभी तय नहीं है कि मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कब कराया जाएगा. प्रदेश में सियासी उठापटक के बीच कमलनाथ सरकार (Kamal Nath) अपने नियमित कामकाज निपटाने में लगी है. राज्य में राजनीतिक नियुक्तियां हो रही हैं और प्रशासनिक फेरबदल भी जारी हैं. इसे लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने अधिकारियों को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि एक-एक सूची बना रहा हूं, उनसे पूरा हिसाब लिया जाएगा.
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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को पता है कि इनके पास अब बहुमत नहीं है, परन्तु लगातार संवैधानिक पदों पर नियुक्ति की जा रही हैं. कुछ अधिकारी इनके कहने पर काम कर रहे हैं. मैं आज उनको चेतावनी देना चाहता हूं एक-एक की सूची बना रहा हूं, उनसे निपटा जाएगा, एक-एक का हिसाब किया जाएगा.
मध्यप्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि अल्पमत की कमलनाथ सरकार को राज्य में महत्वपूर्ण नियुक्ति या स्थानान्तरण के अधिकार का दुरुपयोग करने से रोका जाए। पिछले 3 दिनों में अल्पमत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। pic.twitter.com/E50Ps9ntD3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 17, 2020
वहीं, मध्यप्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि अल्पमत की कमलनाथ सरकार को राज्य में महत्वपूर्ण नियुक्ति या स्थानान्तरण के अधिकार का दुरुपयोग करने से रोका जाए. पिछले 3 दिनों में अल्पमत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.
शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला- CM कमलनाथ अपनी सरकार बचाने के लिए कर रहे ये तुच्छ काम
उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर मध्यप्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने की मांग करने वाले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ‘दबाव एवं प्रलोभन’ देकर अपनी सरकार बचाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका यह बयान न्यायालय द्वारा मध्यप्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने की उनकी (चौहान) याचिका पर कमलनाथ सरकार से बुधवार तक जवाब मांगने के कुछ ही घंटे बाद आया है. वहीं, दूसरी ओर बेंगलुरु में बागी विधायकों की पत्रकार वार्ता के बाद भोपाल में कांग्रेस के प्रदेश जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने दावा किया कि पार्टी के इन विधायकों को बेंगलुरु में भाजपा की कैद में रखकर इन पर सम्मोहन किया गया है.
शिवराज सिंह चौहान: मध्यप्रदेश सरकार को पता है कि इनके पास अब बहुमत नहीं है परन्तु लगातार संवैधानिक पदों पर नियुक्ति की जा रही हैं। कुछ अधिकारी इनके कहने पर काम कर रहे हैं,मैं आज उनको चेतावनी देना चाहता हूं एक-एक की सूची बना रहा हूं, उनसे निपटा जाएगा, एक-एक का हिसाब किया जाएगा pic.twitter.com/9aoQZUExQB
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कांग्रेस द्वारा सरकार के बहुमत में होने का दावा किए जाने के बीच, भाजपा नेता चौहान ने फिर से कहा कि उनकी पार्टी राज्य विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या बल के हिसाब से बहुमत में है. मध्यप्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने की चौहान की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के मंगलवार को दिए आदेश के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कमलनाथ पर तंज कसते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थिति बिल्कुल साफ है. बड़ा शोर मचा रहे थे कि बेंगुलरू में कांग्रेस के विधायक बंधक बनाये गये हैं. बेंगलुरू के सभी विधायक साथियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मर्जी से (बेंगलुरू में) हैं. इस सरकार के खिलाफ हैं और सब ने खुलकर देश के सामने अपनी बात रखी है.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘अब कमलनाथ जी जल्दी फ्लोर टेस्ट करा दो. दूध का दूध और पानी का पानी साफ-साफ हो जाएगा.’’ चौहान ने सवाल किया, ‘‘अगर बहुमत है तो भाग क्यों रहे हो? फ्लोर टेस्ट से डरते क्यों हो?’’ कमलनाथ पर हमला जारी रखते हुए चौहान ने कहा, ‘‘वह वक्त बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं. दबाव एवं प्रलोभन देकर यह प्रयास कर रहे हैं कि सरकार बच जाये. लेकिन अब यह सरकार बच नहीं सकती.’’ चौहान ने कहा, ‘‘सोमवार को भाजपा के विधायकों ने सशरीर राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड की है. संख्या का गणित स्प्ष्ट है. मौजूदा सरकार बहुमत खो चुकी है और भाजपा आज उपलब्ध विधानसभा की संख्या के हिसाब से अब बहुमत में है.’’
राज्यपाल ने कमलनाथ को 16 मार्च को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था
मालूम हो कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 16 मार्च को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने राज्यपाल के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए शक्ति परीक्षण कराए बिना 26 मार्च तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी. इसके तुरंत बाद चौहान और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता समेत भाजपा के नौ अन्य विधायक सोमवार को उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे. याचिका पर कमलनाथ सरकार से बुधवार तक जवाब मांगा है. उच्चतम न्यायालय अब इस मामले में कल यानि बुधवार को सुनवाई करेगा.
उधर, प्रदेश कांग्रेस के कथित बागी 22 विधायकों ने बेंगलुरु से विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र भेजने के बाद मंगलवार सुबह को पत्रकार वार्ता कर अपनी स्वेच्छा से बेंगलुरु में ठहरने की बात की और साथ ही कहा कि केन्द्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा मिलने के बाद ही वह अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश वापस लौटेंगे. शर्मा ने कहा, ‘‘वे दबाव में हैं. भोपाल आने और यहां पत्रकार वार्ता करने में क्या आपत्ति है. वे भाजपा शासित कर्नाटक राज्य में बंदी हैं. उन्हें कैद में रखकर सम्मोहित किया गया है. उनके लौटने के बाद उनका सम्मोहन खत्म होगा.’’
सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था
गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षित किये जाने के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गये. उनके साथ ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं. इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया है. ये सभी 22 सिंधिया समर्थक विधायक एवं पूर्व विधायक बेंगलुरु में डेरा डाले हुए हैं. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किये जाने के बाद 222 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गयी है. इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. भाजपा के 107 सदस्य हैं.