मंडी शुल्क घटाने की मांग को लेकर मध्यप्रदेश की मंडियों में व्यापारियों की हड़ताल सोमवार को 12वें दिन जारी रही. नये कृषि कानून में मंडी के बाहर शुल्क मुक्त व्यापार की स्पर्धा में बने रहने के लिए व्यापारी मंडी-शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि व्यापारियों को सोमवार को इस विषय पर सरकार से बातचीत की उम्मीद है. नये कृषि कानून में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडी की परिधि के बाहर कृषि उत्पादों की खरीद पर किसी प्रकार के शुल्क का प्रावधान नहीं है, जबकि मध्य प्रदेश में मंडी शुल्क 1.70 फीसदी है. प्रदेश के व्यापारी मंडी शुल्क घटाकर 0.5 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं.
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कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून 2020 में ट्रेड एरिया में कृषि उत्पादों के व्यापार को शुल्क मुक्त कर दिया गया है. यह ट्रेड एरिया किसान के खेत से लेकर गोदाम या एपीएमसी की परिधि के बाहर कोई भी क्षेत्र हो सकता है. साथ ही इस कानून से किसान अपने उत्पादों को देश में कहीं भी बेच सकता है.
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व्यापारियों की हड़ताल के चलते मध्य प्रदेश की करीब 270 कृषि उपज मंडियों में 24 सितंबर से कोई कारोबार नहीं हो रहा है. इंदौर, उज्जैन, नीमच स्थित मंडियों के कारोबारियों ने बताया कि इस समय सोयाबीन, मक्का, उड़द समेत अन्य खरीफ फसलों की आवक का सीजन चल रहा है, लेकिन मंडी में हड़ताल के कारण कोई व्यापार नहीं हो रहा है. हालांकि सरकार की ओर से इस विषय पर अशोकनगर के व्यापारियों से बातचीत करने का आश्वासन मिलने के बाद मसले का हल निकलने की संभावना बनी है.
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मध्य प्रदेश में सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने बताया कि अशोकनगर के व्यापारियों को आज (सोमवार) मुख्यमंत्री ने बातचीत के लिए बुलाया है. उन्होंने कहा कि अगर महासंघ को बातचीत के लिए बुलाया जाएगा तो वह भी जाएंगे. अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में विधानसभा के लिए उपचुनाव होने जा रहे हैं और व्यापारियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं को बता दिया है कि अगर सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेगी तो वे बीजेपी को वोट नहीं करेंगे. बता दें कि मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा क्षेत्रों के लिए होने जा रहे उपचुनाव के लिए तीन नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
Source : News Nation Bureau