मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाने का मन बना चुकी है और ये चुनाव इसी साल सितंबर-अक्टूबर माह में होने की संभावना है. राज्य में निजी और सरकारी महाविद्यालयों की संख्या लगभग 1300 है. इन महाविद्यालयों में वर्ष 2003 के बाद से प्रत्यक्ष प्रणाली और वर्ष 2006 से अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव बंद है. प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने का आशय है कि छात्रों के वोट से सीधे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना है. वर्ष 2006 तक अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए थे, यानी कक्षा प्रतिनिधि को छात्रों ने चुना और कक्षा प्रतिनिधियों ने अपने वोट से अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्वाचन किया था.
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राज्य में वर्ष 2006 के बाद से बंद चल रही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया को राज्य सरकार एक बार फिर शुरू करने जा रही है. वर्तमान सरकार चाहती है कि महाविद्यालयों में छात्र-छात्राएं अपना नेता खुद चुनें. इसके लिए प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की तैयारी है. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने छात्र संघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि छात्र संघ के चुनाव सितंबर-अक्टूबर में हो सकते हैं. उनका विभाग और सरकार प्रयास करेगी कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हो.
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बता दें कि राज्य में वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले चुनाव पर रोक लगा दी गई थी. उसके बाद अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने लगे थे, मगर वर्ष 2006 में उज्जैन में छात्रसंघ चुनाव के दौरान प्रोफेसर सभरवाल की मौत हो जाने के चलते अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले चुनाव को भी बंद कर दिया गया था. अब एक बार फिर राज्य में छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की तैयारी है, लिहाजा राज्य की सियासत में छात्र राजनीति में नए चेहरों के आने की संभावनाएं बढ़ेंगी.
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