मध्य प्रदेश विधानसभा में हुए घटनाक्रम के बाद भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही मतभेद की खबरें सामने आने लगी हैं. इस पूरे सियासी बवाल के पीछे पार्टी नेताओं के मतभेदों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, गोपाल भार्गव ने संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ हुई बैठक में शिकायत की. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि बुधवार को विधानसभा में मत विभाजन के वक्त वॉकआउट किया जाए, लेकिन पार्टी नेताओं ने सहमति नहीं दी. जिसके चलते बीजेपी के सामने यह मुसीबत खड़ी हो गई.
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पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सदन में विधेयक खत्म होने के बाद धारा 139 के तहत किसानों के मुद्दे पर चर्चा होनी थी. बीजेपी के नेता जिनके नाम उसमें थे, वह चाह रहे थे कि सदन में उनका वक्तव्य रिकॉर्ड में आ जाए. लेकिन मत विभाजन के दौरान ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक मारा कि पूरी बीजेपी हिल गई है. सत्ता पक्ष की ओर से लाए गए दंड संशोधन विधेयक पर बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया और पार्टी को इसकी भनक तक नहीं लगी.
इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार के समर्थन में वोट करने वाले मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने बाद में अपनी ही पार्टी पर गंभीर आरोप भी लगाए. उनका कहना था कि बीजेपी में उनकी उपेक्षा हुई है. वैसे विधायक नारायण त्रिपाठी पहले कांग्रेस में रह चुके हैं और अब कांग्रेस से दूर रहने के बाद भी उन्होंने मध्य प्रदेश में कर्नाटक जैसा ही कुछ करने का इरादा रखने वाली भारतीय जनता पार्टी को मुश्किलों में डाल दिया.
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कहा जा रहा है कि विधेयक पर बीजेपी विधायक दल वोटिंग नहीं चाहता था तो उसे वॉकआउट करना चाहिए था. ऐसा न कर बीजेपी खुद ही कांग्रेस की रणनीति को कामयाबी होने दिया है. मगर अब सदन से वॉकआउट न करने के पीछे की वजह पार्टी के अंदर एकजुटता न होना बताया जा रहा है, जिससे आने वाले वक्त में भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
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