Advertisment

सिंधिया-PM मोदी के बीच मध्यस्थता कराने में बड़ौदा राजपरिवार की इस महारानी ने निभाई अहम भूमिका

सिंधिया परिवार के एक करीबी सूत्र ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले 49 वर्षीय ज्योतिरादित्य सिंधिया की ससुराल बड़ौदा राजघराने में है.

author-image
Sushil Kumar
एडिट
New Update
rajmata

राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उनके बेटे राहुल गांधी द्वारा पार्टी में तवज्जो नहीं देने के बाद हुई अनबन के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ससुराल पक्ष से बड़ौदा राजपरिवार की महारानी राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड ने उनके एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच मध्यस्थता कराने में अहम भूमिका निभाई है, जिसके कारण वह आखिरकार कांग्रेस छोड़ कर भाजपा के नजदीक जाते दिख रहे हैं. सिंधिया परिवार के एक करीबी सूत्र ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले 49 वर्षीय ज्योतिरादित्य सिंधिया की ससुराल बड़ौदा राजघराने में है.

Advertisment

इसी राजघराने की महारानी राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड ने सिंधिया और मोदी के बीच बातचीत का रास्ता तैयार किया. उन्होंने कहा कि उन्हीं की बदौलत संभव हुआ कि भाजपा और सिंधिया के बीच बातचीत हुई और आखिरकर वह आज कांग्रेस छोड़ कर भाजपा के करीब नजर आ रहे हैं. सिंधिया परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया, ‘‘ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी बड़ौदा के गायकवाड राजघराने से हैं. इस वजह से उनका वहां अक्सर आना जाना रहता है. बड़ौदा की महारानी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अत्यधिक सम्मान करते हैं और उनसे उनके अच्छे संबंध हैं.’’

उन्होंने कहा कि संभावना है कि सिंधिया जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने बताया, ‘‘सोनिया जी ने सिंधिया की बातें नहीं सुनीं. राहुलजी ने भी उन्हें कहा कि आप (मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री) कमलनाथ के साथ बात कर अपने मतभेदों को सुलझाओ.’’ इस सूत्र ने बताया कि लेकिन कमलनाथ द्वारा भी उनकी समस्याओं को अनसुना कर दिया. इससे सिंधिया कांग्रेस से नाराज हो गये थे. रविवार को भी सिंधिया ने सोनिया से मिलने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि तीन मार्च को मध्यप्रदेश के 10 विधायक गायब हो गये थे, जिनमें दो बसपा, एक सपा, एक निर्दलीय एवं बाकी कांग्रेस के विधायक थे.

इसके बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए भाजपा नेता इन विधायकों को करोड़ों रूपये का आफर दे रहे हैं. भाजपा ने हालांकि इस आरोप को खारिज कर दिया और दावा किया कि 26 मार्च को मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के मद्देनजर यह कांग्रेस के विभिन्न गुटों के बीच चल रही अंदरूनी लड़ाई का नतीजा है. इसके बाद प्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेस इन 10 विधायकों में से आठ विधायकों को वापस लाने में सफल हो गई.

Advertisment

उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश में हुए इस सारे घटनाक्रम की निगरानी खुद की और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान एवं केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठकें कर रणनीति बनाई. उन्होंने कहा कि आखिरकार इसका भाजपा को फायदा भी मिला है, क्योंकि ज्योतिरादित्या सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस छोड़ दी और उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना है. सिंधिया के इस कदम के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफे दे दिये, जिससे राज्य की कमलनाथ सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है.

मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं. इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं. इन 22 विधायकों के इस्तीफे देने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 92 रह गई है. कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है. भाषा रावत प्रशांत प्रशांत

Source : Bhasha

Jyotiraditya Scindia madhya-pradesh scindia Badauda PM modi
Advertisment
Advertisment