इसे कहते हैं कि गांव बसा नहीं और बाजार पहले सज गए. यानी किसकी चलेगी बाजार में ठेकेदारी! यह अलग बात है कि इससे मध्य प्रदेश उपचुनाव (By Elections) के बीच कांग्रेस की अंदरूनी कलह एक बार फिर जाहिर हो गई है. विगत दिनों कांग्रेस में 'ओल्ड वर्सेज न्यू' के संघर्ष के बाद मध्य प्रदेश से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ही चुनावी प्रचार सामग्री से गायब हो गए हैं. ऐसे में प्रश्न उठने लगा है कि क्या मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ (KamalNath) को राहुल गांधी पर भरोसा नहीं रहा? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने जो 'वचन' पत्र जारी किया है, उसमें राहुल गांधी की तस्वीर नहीं हैं. इतना ही नहीं, उस घोषणा पत्र के कवर पेज से एमपी के ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का चेहरा भी गायब है.
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'वचन पत्र' से राहुल गांधी की फोटो गायब
आपको बता दें कि 'वचन पत्र' पर कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ-साथ कमलनाथ की तस्वीर छपी है. इस मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा कांग्रेस की तरफ से सफाई भी जारी कर दी गई. कांग्रेस नेता मयंक अग्रवाल का इस प्रकरण पर कहना है कि हमने राहुल गांधी के नाम पर मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीता गया और दिग्विजय सिंह के पास राज्य में अनुयायियों की फौज है, इसलिए उनकी तस्वीरें जरूर होनी चाहिए.
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नाक की लड़ाई बने 28 सीटों के उपचुनाव
राज्य में विधान सभा की 28 सीटों के लिए 3 नवंबर को चुनाव होंगे. इन 28 सीटों में से 22 कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोड़ते हुए बीजेपी का दामन थामा था. इसी वजह से एमपी में कांग्रेस की सरकार गिर गई. आपको बता दें कि भाजपा के पास अभी 107 विधायक हैं. पार्टी को विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा जुटाने के लिए 9 और विधायकों की आवश्यकता है, जबकि 88 सीटों वाली कांग्रेस को सभी 28 सीटों पर जीत हासिल करने की जरूरत है.