मध्य प्रदेश के सीधी स्थित संजय टाइगर रिजर्व के दुबरी अभ्यारण्य में बाघिन को जहर देकर मारने का मामला सामने आया है. बाघिन की मौत के मामले में वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि बाघिन को कॉलर आईडी लगा हुआ था. इसके बाद भी दो महीने से उसकी लोकेशन नहीं मिल रही थी. पुलिस और वनविभाग की संयुक्त टीम ने बाघिन की हत्या के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया है.
कई महीनों से थी बीमार, लापरवाहों ने जान ली
शुरूआती जांच में जो बात निकल कर सामने आ रही है उसके अनुसार बाघिन की करीब पांच दिन पहले मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघिन को जहर देकर मारे जाने का खुलासा हुआ है. इसके बाद सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दूसरी तरफ टाइगर रिजर्व के अधिकारी पूरी घटना को नए सिरे से बता रहे हैं. उनके अनुसार बाघिन का सिर्फ कंकाल मिला है. इससे बाघिन की मौत करीब 15 से 20 दिन पहले होने की संभावना जताई जा रही है.
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बदला लेने के लिए की बाघिन की हत्या
बाघिन की हत्या के पीछे साजिश की बात सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक बाघिन ने कुछ दिन पहले उनके पालतू जानवर का शिकार कर लिया था. इसके बाद आरोपियों ने बाघिन की हत्या की साजिश रची. आरोपियों को पता था बाघिन हर शाम एक विशेष स्थान पर जाती है. आरोपियों ने बाघिन को दिए जाने वाले मांस में जहर मिलाकर उसे उस स्थान पर रख दिया. जहरीला मांस खाने के बाद बाघिन की मौत हो गई.
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कॉलर आईडी के बाद भी नहीं हुई ट्रेक
बताया जा रहा है कि संजय टाइगर रिजर्व में टी-20 अकेली ऐसी बाघिन है जिसके कॉलर आईडी लगी हुई है. इस बाघिन को 25 मार्च 2018 को पन्ना टाइगर रिजर्व से लाया गया था. कॉलर आईडी लगी होने के बाद भी उसकी लोकेशन ट्रेक नहीं की जा सकी.