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मंदसौर में स्वाइन फ्लू से दो की मौत, स्क्रब टाइफस के 67 मरीज मिले

स्क्रब टाइफस के बाद मंदसौर में अब स्वाइन फ्लू ने का प्रकोप बढ़ गया है. स्वाइन फ्लू से दो और मरीजों की मौत हो गई है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है.

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Drigraj Madheshia
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मंदसौर में स्वाइन फ्लू से दो की मौत, स्क्रब टाइफस के 67 मरीज मिले

मंदसौर का जिला अस्पताल

स्क्रब टाइफस के बाद मध्यप्रदेश के मंदसौर में अब स्वाइन फ्लू ने का प्रकोप बढ़ गया है. स्वाइन फ्लू से दो और मरीजों की मौत हो गई है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है. जहाँ तक स्क्रब टाइफस की बात है तो 67 मरीजों में यह पॉजिटिव पाया गया है. स्क्रब टाइफस के मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए भोपाल की एक टीम मंदसौर पहुंची है. टीम ने गांव-गांव में निरीक्षण भी किया. फिलहाल स्क्रब टाइफस के उपचार के लिए बने टीके खास कारगर साबित नहीं हुए हैं.

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स्वाइन फ्लू में पहले सर्दी-जुकाम, दो दिन बाद सांस में होती है तकलीफ

स्वाइन फ्लू वायरस से फैलने वाला रोग है, इसमें सबसे पहले सर्दी-जुकाम होता है और दो दिनों बाद सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. इसमें मरीज की मौत भी हो सकती है, हालाँकि इसका रेट बहुत काम है. स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सर्दी-जुकाम के संक्रमित मरीज को दूसरों से दूर रहना चाहिए. मरीज का रूमाल व दूसरी अन्य वस्तुओं का भी उपयोग नहीं करना चाहिए.

क्यों होता है स्क्रब टाइफस

स्क्रब टाइफस नमक यह बुखार कई जाति के रिकेट्सिया द्वारा उत्पन्न रोगों का समूह है. यह कीटों से मानव में फैलता है. रिकेट्सिया जीवाणु और विषाणु के बीच रखा जाने वाला जीव है. रिकेट्सिया से संक्रमित होने के 5 से 12 दिनों तक के अंदर स्क्रब टाइफस के लक्षण दिखने लगते हैं. सिरदर्द, भूख न लगना, तबियत का भारीपन इसके शुरूआती लक्षण हैं. इसके बाद अचानक कंपकंपी के साथ तेज बुखार चढ़ता है और कमजोरी का महसूस होने लगती है. यह बुखार सात से 12 दिन तक रहता है. छठे दिन तक शरीर पर दाने निकल आते हैं. यह रोग 40 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों के लिए खतरनाक है और 60 वर्ष से ऊपर के मरीजों के लिए जानलेवा.

स्क्रब टाइफस से बचाव

यह रोग ज्यादातर कीड़ों के माध्यम से ही फैलता है इसलिए आस-पास झाड़ियां और घासफूस न पनपे.

कीड़ों का प्रकोप है तो उचित दवा के इस्तेमाल से इन्हें नियंत्रण में रखें .

क्या है बुखार

कोई बैक्टीरिया या वायरस जब हमारे शरीर पर हमला करता है तो शरीर उसे मारने की कोशिश करता है. इसकी वजह से शरीर जब अपना तापमान बढ़ाता है तो उसे बुखार कहा जाता है. अगर यह तापमान सुबह 99 डिग्री फारनहाइट से ज्यादा और शाम के वक्त 99.9 डिग्री फारनहाइट से ज्यादा है, तो इसे बुखार माना जाता है.

खुद क्या करें

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  • अगर बुखार 102 डिग्री तक है और कोई और खतरनाक लक्षण नहीं हैं तो मरीज की देखभाल घर पर ही हो सकती है. तीन-चार दिन तक इंतजार कर सकते हैं. मरीज के शरीर पर सामान्य पानी की पट्टियां रखें. अगर इससे ज्यादा तापमान है तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं.
  • मरीज को एसी में रख सकते हैं, तो बहुत अच्छा है, नहीं तो पंखे में रखें. कई लोग बुखार होने पर चादर ओढ़कर लेट जाते हैं और सोचते हैं कि पसीना आने से बुखार कम हो जाएगा, लेकिन इस तरह चादर ओढ़कर लेटना सही नहीं है.
  • साफ-सफाई का ख्याल रखें. मरीज को अगर वायरल है, तो उसके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों का प्रयोग न करें.
  • -मरीज छींकने से पहले नाक और मुंह पर रुमाल रखें. इससे वायरल बुखार दूसरों में नहीं फैलेगा.

बुखार कब जानलेवा

सभी बुखार जानलेवा नहीं होते, लेकिन अगर डेंगू में हैमरेजिक बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम हो जाए तो यह जानलेवा हो सकता है. मलेरिया दिमाग को चढ़ जाए, प्रेग्नेंसी में वायरल हेपटाइटिस (पीलिया वाला बुखार) या मेंनिंजाइटिस, टायफायड का सही इलाज न होना भी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

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