मध्य प्रदेश में वंदे मातरम् को लेकर राज्य में अब सियासी तूफान मच गया है. एक जनवरी को मंत्रालय में वंदे मातरम् का गान नहीं हुआ. पिछले 13 सालों से चली आ रही परंपरा के अचानक टूट जाने से जहां बीजेपी खफा है तो वहीं सीएम कमलनाथ ने साफ कर दिया है कि वंदेमातरम् गान की अनिवार्यता को फ़िलहाल अभी बंद है. इस बयान के बाद बीजेपी कार्यकर्ता भोपाल में वल्लभ भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं.
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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि माह की 1 तारीख़ को मंत्रालय में वंदेमातरम् गान की अनिवार्यता को फ़िलहाल अभी बंद करने का निर्णय लिया गया है. यह निर्णय ना किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और ना ही हमारा वंदे मातरम् गान को लेकर कोई विरोध है. वंदे मातरम् हमारे दिल की गहराइयों में बसा है. हम भी समय- समय पर इसका गान करते हैं.
हम इसे वापस प्रारंभ करेंगे लेकिन एक अलग रूप में. लेकिन हमारा यह भी मानना है कि सिर्फ़ एक दिन वंदे मातरम् गाने से किसी की देशभक्ति या राष्ट्रीयता परिलिक्षित नहीं होती है.
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देशभक्ति व राष्ट्रीयता को सिर्फ़ एक दिन वंदे मातरम् गान से जोड़ना ग़लत है. जो लोग वंदे मातरम् गायन नहीं करते है तो क्या वे देशभक्त नहीं है ? हमारा यह भी मानना है कि राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है. इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है. हमारी भी धर्म , राष्ट्रीयता , देशभक्ति में आस्था है. कांग्रेस पार्टी जिसने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी. उसे देशभक्ति, राष्ट्रीयता के लिये किसी से भी प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है.
हमारा यह भी मानना है कि इस तरह के निर्णय वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये व जनता को गुमराह ,भ्रमित करने के लिये थोपे जाते रहे हैं. भारत में रहने वाला हर नागरिक देशभक्त, राष्ट्र भक्त है. उससे किसी भी प्रकार के प्रमाणपत्र लेने की और ना उसे किसी को देने की आवश्यकता है. भाजपा इस पर राजनीति ना करे. हम इसे नये रूप में शीघ्र निर्णय लेकर लागू करेंगे.
Source : News Nation Bureau